अनिल शर्मा | फतेहपुर
Himachal News: हिमाचल प्रदेश में घर-घर तक बिजली पहुंचाने की जिम्मेदारी निभा रहे बिजली कर्मचारी खुद असुरक्षित हैं। उनकी मेहनत का लाभ तो पूरे प्रदेश को मिल रहा है, लेकिन उनकी सुरक्षा के नाम पर कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। यही कारण है कि पिछले दो हफ्तों में तीसरी दुर्घटना हो चुकी है, जिसमें एक और बिजली कर्मचारी की जान चली गई।

नम आंखों से दी गई लाइनमैन अजय कुमार को अंतिम विदाई
जिला कांगड़ा के विद्युत उपमंडल गंगथ के अंतर्गत करंट लगने से जान गंवाने वाले गोलवां निवासी लाइनमैन अजय कुमार का मंगलवार को मोक्षधाम दरेड़ में अंतिम संस्कार किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोगों ने शामिल होकर उन्हें नम आंखों से विदाई दी। अजय कुमार की हादसे में मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अंतिम विदाई के दौरान परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। अजय कुमार के दो अन्य भाई भी हैं, जिनमें से उनके छोटे भाई ने उन्हें मुखाग्नि दी।
इस अंतिम यात्रा में विद्युत विभाग के सैकड़ों कर्मचारी, पूर्व कर्मचारी, अधिकारी, युवा और स्थानीय ग्रामीण शामिल हुए। सभी ने सरकार और विभाग से मांग की कि ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में किसी और परिवार को इस तरह की पीड़ा न सहनी पड़े।
10 साल में 150 कर्मचारियों की मौत, सरकार कब जागेगी?
अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो हिमाचल प्रदेश में पिछले 10 वर्षों में 150 से अधिक तकनीकी कर्मचारी अपनी जान गंवा चुके हैं। यूनियनों के अनुसार, हादसों के पीछे सबसे बड़ा कारण कर्मचारियों की भारी कमी है। पहले जहां एक सेक्शन में 50 कर्मचारी काम करते थे, अब मात्र 5 कर्मचारी ही कार्यरत हैं। इस वजह से मौजूदा स्टाफ पर असहनीय दबाव है। फील्ड स्टाफ को 25 से 30 ट्रांसफार्मरों के अलावा कई किलोमीटर लंबी एचटी और एलटी लाइनों की देखभाल करनी पड़ रही है। ऐसे में लगातार काम के दबाव और सुरक्षा उपकरणों की कमी के चलते हादसे बढ़ रहे हैं।
बिजली कर्मचारियों की मौत पर उबाल, यूनियनों ने सरकार को घेरा
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड तकनीकी कर्मचारी संघ, विद्युत पेंशनर फोरम के राज्य उपाध्यक्ष पवन मोहल, विद्युत महासंघ फतेहपुर इकाई के अध्यक्ष धर्मवीर कपूर और भामस के प्रदेश अध्यक्ष मदन राणा ने हाल ही में विद्युत मंडल इंदौरा के तहत एक कर्मचारी की दुखद मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने इस घटना को कर्मचारियों की सुरक्षा और कार्य दबाव से जुड़ी गंभीर समस्याओं का नतीजा बताया।
संघों के नेताओं ने कहा कि तकनीकी कर्मचारी संघ लंबे समय से प्रदेश सरकार और बोर्ड प्रबंधन को फील्ड एवं तकनीकी कर्मचारियों की भारी कमी के बारे में आगाह करता रहा है। हालांकि, बोर्ड प्रबंधन और सरकार ने भर्ती प्रक्रिया शुरू करने में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इसी लापरवाही का परिणाम है कि पिछले दो सप्ताह के भीतर तीन युवा फील्ड कर्मचारी दुर्घटनाओं का शिकार होकर अपनी जान गंवा चुके हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार और बोर्ड प्रबंधन को “कुंभकर्णी नींद” में सोया हुआ बताया।
संघों के नेताओं ने बताया कि बिजली बोर्ड में हजारों फील्ड और तकनीकी कर्मचारियों के पद रिक्त पड़े हैं, जिसके कारण मौजूदा कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक दबाव है। एक-एक कर्मचारी को 25 से 30 ट्रांसफार्मरों के साथ-साथ कई किलोमीटर लंबी एचटी और एलटी लाइनों की देखभाल करनी पड़ रही है। यह स्थिति न केवल कर्मचारियों के लिए चुनौतीपूर्ण है, बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रही है। कर्मचारी मानसिक दबाव और अत्यधिक कार्यभार के कारण घातक और अघातक दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं।
संघों ने प्रदेश सरकार और बोर्ड प्रबंधन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इस मामले में जल्द से जल्द उचित कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो लगभग 150 तकनीकी कर्मचारी दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा चुके हैं। यह आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि कर्मचारियों की सुरक्षा और कार्य स्थितियों में सुधार की तत्काल आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।
संघों ने मांग की है कि प्रदेश सरकार और बिजली बोर्ड प्रबंधन तुरंत भर्ती प्रक्रिया शुरू करे और कर्मचारियों के कार्यभार को कम करने के लिए पर्याप्त संख्या में नए कर्मचारियों की नियुक्ति करे। साथ ही, कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए बेहतर उपकरण और प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो संघ आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
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