Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मंगलवार को एक अहम पत्रकार वार्ता में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट्स के नाम पर जनता के साथ बड़ा अन्याय हो रहा है। ठेकेदारों और एनएचएआई के अधिकारियों की मिलीभगत से घटिया निर्माण हो रहा है, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है।
मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा, “नेशनल प्रोजेक्ट्स के नाम पर जो नेशनल हाईवे बनाए जा रहे हैं, उनमें बहुत बड़ी धांधली है।” उन्होंने बताया कि हाइब्रिड एन्नुइटी मोड (HEM) में बनने वाले इन प्रोजेक्ट्स में 40% खर्च सरकार उठाती है और 60% ठेकेदारों का होता है, लेकिन अधिकतर काम केवल 40% खर्च में पूरा कर लिया जाता है। इसके बाद ठेकेदारों को इंसेंटिव भी मिलते हैं, लेकिन गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जाता।
गंभीर सवाल: लापरवाही से ढहते घर, मरते लोग
अनिरुद्ध सिंह ने हिमाचल में फोरलेन निर्माण प्रोजेक्टों पर, विशेष तौर पर परमाणु से लेकर शिमला तक के फोरलेन निर्माण पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में लैंडस्लाइड, पत्थर गिरने और घरों के ध्वस्त होने की घटनाएं आम हो गई हैं। मंत्री ने बताया, “कटिंग 90 डिग्री पर की जाती है और रिटेनिंग वॉल्स मात्र 8 से 10 फीट की बनाई जाती हैं, जबकि कटाई 100-125 फीट तक होती है।” इस वजह से हर साल भूस्खलन और नुकसान होता है, लेकिन एनएचएआई आंख मूंदकर बैठा है।
उन्होंने दावा किया कि केवल शिमला में ही 700 से 800 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, लेकिन एफआईआर और कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “लोगों की जिंदगी की पूंजी खत्म हो गई, कंपनसेशन से भावनाएं नहीं जुड़तीं।”
उन्होंने यह भी बताया कि पिछले दो साल में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से 15-16 बार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और NHAI अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। “छह महीने पहले मैंने डिप्टी कमिश्नर के साथ NHAI और ठेकेदारों की बैठक ली थी। तब हमने चेतावनी दी थी कि ढली में मलबा और इमारत गिरने का खतरा है, लेकिन NHAI ने कोई कदम नहीं उठाया।”
केंद्रीय नेताओं पर सवाल, गडकरी से मिलने की बात
पत्रकारों के सवालों पर मंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्री दिल्ली में बैठकर बयान दे रहे हैं, लेकिन उन्हें जमीनी हालात की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलने वाला हूं। उन्हें बताऊंगा कि हिमाचल में एनएचएआई क्या कर रहा है।”
उन्होंने सवाल किया कि हाईवे प्रोजेक्ट्स के नाम पर कितने हजार करोड़ खर्च हुए, कितनों को कंपनसेशन मिला, और कितनों की शिकायतों पर कार्रवाई हुई। हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने NHAI की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार से राष्ट्रीय नीति बनाने और सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से इस मामले को गंभीरता से लेने और तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
वहीं, विपक्षी नेता जय राम ठाकुर ने उनके इस्तीफे की मांग की मांग को लेकर अनिरुद्ध सिंह ने पलटवार करते हुए कहा, “जय राम ठाकुर ने बाढ़ के दौरान कितने जिलों का दौरा किया? केंद्र से कितना मुआवजा मांगा? वे केवल बयानबाजी करते हैं। लोगों का दर्द समझने के लिए मैदान में आएं।”
मारपीट मामले में एफआईआर और व्यक्तिगत आरोपों पर सफाई
मंत्री अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ हाल ही में एफआईआर दर्ज हुई है, जिसे उन्होंने राजनीतिक साजिश बताया। उन्होंने कहा, “एफआईआर दर्ज होना किसी के दोषी होने का प्रमाण नहीं है। ये सब बिल्डिंग गिरने की बड़ी घटना को ढकने की कोशिश है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ अधिकारियों ने जनता और महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया, जिनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई है। उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह तथ्यहीन है। घटनास्थल पर 150 लोग, फॉरेस्ट और राजस्व विभाग के अधिकारी, SDM और महिलाएं मौजूद थीं। यह FIR इमारत ढहने के मुद्दे को दबाने की कोशिश है।
मैं सभी आरोपों से इनकार करता हूं और जांच में पूरा सहयोग करूंगा।” उन्होंने यह भी बताया कि NHAI कर्मियों ने पहले पुलिस को कहा कि उनके साथ कोई मारपीट नहीं हुई, लेकिन बाद में उन्होंने शिकायत दर्ज की। “अस्पताल में वे केवल एक घंटे OPD में रहे, भर्ती नहीं हुए। यह उनका कवर-अप है,”
मंत्री ने फॉरेस्ट, प्रदूषण और राजस्व विभागों की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए। “फॉरेस्ट विभाग ने NHAI के खिलाफ जंगल में मलबा फेंकने के लिए ₹27 लाख का दावा किया था, जो बाद में ₹1 लाख कर दिया गया। राजस्व विभाग को सड़क की चौड़ाई के लिए 30 मीटर के दायरे में अतिक्रमण की जांच करनी थी, लेकिन इसमें देरी हो रही है। यह सिस्टम की विफलता है, जो केंद्र से शुरू होती है।”
मुख्यमंत्री से मामले में हस्तक्षेप की मांग
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और आज शाम तक प्रभावित क्षेत्र का दौरा करेंगे। अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री को फोन पर पूरी जानकारी दी है। “मुख्यमंत्री ने NHAI को कई बार फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है, लेकिन NHAI पर कोई फर्क नहीं पड़ता।”
मंत्री ने 1983 के हिमाचल प्रदेश विशिष्ट भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम को लागू करने की मांग की, ताकि NHAI अधिकारियों पर कार्रवाई हो सके। “यह कानून भ्रष्टाचार रोकने के लिए है, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं होता। मैं मुख्यमंत्री से मांग करूंगा कि इसे लागू किया जाए।”
जिम्मेदार कौन? राज्य सरकार या केंद्र?
मंत्री ने साफ कहा कि एनएचएआई राज्य सरकार के अधीन नहीं है और केंद्र सरकार की एजेंसी है, लेकिन जब जनहानि होती है तो जिम्मेदारी राज्य पर डाल दी जाती है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि एक राष्ट्रीय नीति बने जिसमें नुकसान झेलने वाले नागरिकों को न्याय मिले और जवाबदेही तय हो।
अनिरुद्ध सिंह ने पत्रकारों से अपील की कि वे इस मुद्दे को जनता तक पहुंचाएं। “लोगों के घर, खेत और बगीचे बर्बाद हो रहे हैं। NHAI केवल मुआवजा देने की बात करता है, लेकिन यह समाधान नहीं। मैं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर इस मामले को उठाऊंगा और उच्च स्तरीय जांच की मांग करूंगा।” उन्होंने जनता से एकजुट होकर NHAI की जवाबदेही तय करने की अपील की।
मंत्री ने प्रेस वार्ता के अंत में कहा, “हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जनता के साथ अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। जो अधिकारी और ठेकेदार मिलकर जनता की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।”
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