Himachal News: हिमाचल प्रदेश में निर्मित होने वाली दवाओं की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े होने लगे है। क्योंकि केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के मानकों पर यह खरा नहीं उतर पाए हैं।
जानकारी के अनुसार देशभर में बनीं 59 दवाएं केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें 20 दवाएं ऐसी है जिनका निर्माण हिमाचल प्रदेश में हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक जिन दवाओं के सैम्पल फेल हुए है उनमे गैस्ट्रिक, अल्सर, निमोनिया, जीवाणु संक्रमण, डायरिया, गला दर्द, कब्ज, हार्ट के रक्त प्रवाह को सुचारू करने, पीठ दर्द, थक्का रोधी, मानसिक रोग, मिर्गी, बुखार और ब्लड प्रेशर की दवाएं शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य ड्रग नियंत्रक मनीष कपूर ने अगस्त के ड्रग अलर्ट में सैंपल फेल होने की पुष्टि करते हुए बताया कि जिन दवा उद्योगों के सैंपल फेल हुए हैं, उन्हें लाइसेंस रद्द करने के लिए नोटिस जारी किए जाएंगे। बाजार से दवाओं का स्टॉक भी वापस मंगाया जाएगा। विभाग खुद भी सैंपलों की जांच करेगा।
हिमाचल प्रदेश में जिन दवाओं के नमूने केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के मनको पर खरा नहीं उतरे है उनमे सोलन जिले के 14, ऊना का एक और सिरमौर के पांच दवा उद्योगों के सैंपल फेल हुए हैं।
- सिरमौर के मोगीनंद में स्थित गेनोसिस फार्मास्युटिक कंपनी की गैस्ट्रिक की दवा,
- कालाअंब स्थित डिजिट विजन कंपनी की अल्सर की दवा पेटोमेड,
- बद्दी स्थित ऐलक्सा कंपनी की निमोनिया की दवा मोक्सीकाईड सीवी,
- सिरमौर स्थित एमजी लाइफ साइंस की जीवाणु संक्रमण की दवा अमाक्सिसाइक्लिन,
- झाड़माजरी के स्कोटोडिल कंपनी की इंसुलिन बढ़ाने वाली दवा मेटफामिन,
- परवाणू की लिजन हेल्थकेयर की डायरिया की दवा रिक्सिम,
- मलकूमाजरा की मेक्स स्टार कंपनी की गले की दर्द की दवा फैक्सोफेनाडाइन दवा के दो सैंपल फेल हुए हैं।
- कालाअंब स्थित एथीन लाइफ साइंस की कब्ज की दवा लेक्टूलीज,
- संडोली स्थित हेल्थ बायोटेक की खून सुचारु रूप से बहने की दवा हेपरिन सोडियम इंजेक्शन,
- बद्दी के हैट्रो लैब की दवा एंटीबायोटिक दवा सेपोडेम सिरफ,
- काठा बद्दी की यूनिस्पीड की दर्द की दवा निमोसुलाईड,
- नालागड़ के एलविस हेल्थ केयर कंपनी की हार्ट में रक्त प्रवाह की दवा एड्रेनाईलाई,
- गुल्लरवाला की यूनिवर्सल ट्वीन लैब की पीठ की दर्द की दवा डिक्लोफेनाक का सैंपल फेल हुआ है।
- बद्दी की डेक्सिन कंपनी की वैक्टीरिया संक्रमण की दवा सेफोपेराजन,
- झाड़माजरी की स्काटोडिल कंपनी थक्का रोधी की दवा हैपरिन इंजेक्शन,
- कालाअंब स्थित डिजिटल विजन की मानसिक रोग की दवा क्लोनाजेपम,
- संडोली के हेल्थ बायोटेक की मिर्गी की दवा फेनाईटोईन,
- बद्दी के बिन क्योर फार्मा कंपनी की बुखार की दवा पैरासिटामोल
- ऊना के स्विश गारनियर कंपनी की रक्तचाप की टेलमीसारटन के सैंपल फेल हुए हैं।
राज्य ड्रग नियंत्रक विभाग पर लग रहा सवालिया निशान
बता दें कि पिछले कई वर्षों से हिमाचल प्रदेश में निर्मित दवाओं के सैम्पल केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन के मानको पर खरा नै उतरा रहे हैं। जिससे हिमाचल प्रदेश के राज्य ड्रग नियंत्रक विभाग पर सवालिया निशान लग रहे है। आखिरकार ऐसी कम्पनियों पर समय रहते कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती।
केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन की और से जब तक सैम्पल की रिपोर्ट आती है तब तक आधी से ज्यादा दवाएं बाजार में उतार दी जाती है, जिससे जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
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