Himachal Assembly: धर्मशाला, 5 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भू-राजस्व से जुड़े एक महत्वपूर्ण विधेयक को गुरुवार को सर्वसम्मति से प्रवर समिति (Select Committee) के पास भेजने का निर्णय लिया गया। यह विधेयक हिमाचल प्रदेश भूमि राजस्व अधिनियम की धारा-118 में संशोधन से संबंधित है।
सरकार की ओर से राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सदन में इस संशोधन विधेयक को प्रस्तुत किया। बहस के दौरान भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने इस विधेयक को और अधिक विचार-विमर्श के लिए प्रवर समिति के पास भेजे जाने की मांग रखी। इस प्रस्ताव पर विचार करने के बाद मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की स्वीकृति दी।
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने औपचारिक रूप से विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने का निर्देश दिया। अब राजस्व मंत्री को इस समिति के गठन की अधिसूचना शीघ्र जारी करनी होगी।
सूचना के अनुसार, विधानसभा के शीत सत्र के दौरान मंगलवार को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने एक महत्वपूर्ण विधेयक सदन में पेश किया। “हिमाचल प्रदेश भू अभिधृति एवं भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक 2025” नामक यह विधेयक वर्ष 1972 के मूल अधिनियम की धारा 118 में संशोधन प्रस्तावित करता है।
इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देना है। प्रस्ताव के अनुसार, अब ग्रामीण इलाकों में व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किसी भवन या उसके हिस्से को दस वर्ष तक की अवधि के लिए पट्टे पर देना, धारा 118 के प्रतिबंधों से मुक्त रखा जाएगा। यदि यह संशोधन पारित हो जाता है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषकों को अपनी इमारतों को किराए या पट्टे पर देने के लिए किसी विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
इस कदम का स्पष्ट लक्ष्य छोटे व्यवसायों, स्टार्टअप्स, दुकानों और ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करना है, जिससे गाँवों में रोजगार और आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी।
इसके अलावा, विधेयक में धारा 118 की उप-धारा (2)(ई) में भी संशोधन प्रस्तावित है। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि राज्य या केंद्र सरकार, सरकारी कंपनियों या वैधानिक निकायों द्वारा ‘भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013’ के तहत प्राप्त की गई भूमि इस अधिनियम की पाबंदियों से मुक्त रहेगी। इस प्रावधान को पहले अस्पष्ट माना जाता था, जिसे अब स्पष्ट और सरल बनाया जा रहा है।
राजस्व मंत्री ने सदन को बताया कि सरकार का उद्देश्य धारा 118 के मूल सिद्धांत, यानी राज्य के हित और स्थानीय किसानों की ज़मीन की सुरक्षा को बरकरार रखते हुए, आधुनिक आर्थिक ज़रूरतों के अनुरूप इसमें लचीलापन लाना है।
प्रवर समिति क्या है और क्यों भेजा जाता है विधेयक?
प्रवर समिति विधानसभा की एक ऐसी समिति होती है जिसमें विभिन्न दलों के सदस्य शामिल होते हैं। किसी जटिल या विशेष महत्व के विधेयक को इस समिति के पास विस्तृत जांच और सार्वजनिक सुझावों के लिए भेजा जाता है। समिति विधेयक के प्रावधानों पर गहन विचार करती है, हितधारकों से राय ले सकती है और अपनी सिफारिशों के साथ इसे वापस सदन में भेजती है। इस प्रक्रिया से विधेयक अधिक पक्का और व्यापक हो जाता है।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में धारा-118 का संशोधन राजस्व और भूमि से जुड़े मामलों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजे जाने से स्पष्ट है कि सरकार और विपक्ष दोनों चाहते हैं कि इस पर व्यापक विचार हो और एक सर्वसम्मत व बेहतर कानून बने।












