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जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन, बेटी सुभाषिनी का ट्वीट- पापा नहीं रहे…

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नई दिल्ली: जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन हो गया है। उनकी बेटी सुभाषिनी ने ट्वीट कर इसकी पुष्टि की। सुभाषिनी ने ट्वीट कर लिखा- पापा नहीं रहे…

जानकारी के अनुसार, गुरुग्राम के अस्पताल में शरद यादव का निधन हुआ। राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले शरद यादव के निधन की खबर से राजनीतिक जगत स्तब्ध है। शरद यादव का 75 वर्ष की उम्र में निधन हुआ।

फोर्टिस अस्पताल ने जारी किया बयान

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट गुरुग्राम ने बयान जारी करते हुए कहा- शरद यादव को अचेत अवस्था में फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में आपात स्थिति में लाया गया था। जांच करने पर उनकी कोई पल्स या रिकॉर्डेबल ब्लड प्रेशर नहीं था। एसीएलएस प्रोटोकॉल के तहत उनका सीपीआर किया गया। बेहतर प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। रात 10 बजकर 19 मिनट पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। हम उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करना चाहते हैं।

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शरद यादव ने 27 साल की उम्र में जीता था पहला चुनाव

शरद यादव का राजनीतिक जीवन शानदार रहा। जयप्रकाश नारायण ने 1974 के जबलपुर उपचुनाव में शरद यादव को चुनाव लड़ने के लिए नियुक्त किया था, जिसे उन्होंने 27 साल की उम्र में जीतकर चौंकाया था। वह जद (यू) से सात बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा के लिए चुने गए। शरद यादव 2003 में इसके गठन से लेकर 2016 तक जनता दल (यूनाइटेड) के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। बाद में उन्हें राज्यसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया और पार्टी लाइन से बाहर जाकर बयान देने पर नेतृत्व के पदों से हटा दिया गया।

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मध्य प्रदेश से बिहार तक का सफर

शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी विज्ञान स्नातक की डिग्री रॉबर्टसन कॉलेज जबलपुर से प्राप्त की, जो जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से गवर्नमेंट साइंस कॉलेज, जबलपुर और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की शाखा है। वह पेशे से एक कृषक, शिक्षाविद और इंजीनियर थे। मध्यप्रदेश के जरिए बिहार पहुंचे शरद यादव का अधिकांश राजनीतिक जीवन बिहार में गुजरा। उन्होंने 15 फरवरी 1989 को रेखा यादव से शादी की, जिनसे उन्हें एक बेटा और एक बेटी है। उनकी बेटी सुभाषिनी राजा राव 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गई थीं। उन्होंने बिहारीगंज सीट से राजद उम्मीदवार के रूप चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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