प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया गया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की ओर कहा गया कि राजनीतिक दलों से चर्चा कर तारीख की घोषणा की जाएगी। कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने बुधवार को मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग करते हुए नोटिस सौंपा था।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लोकसभा उपाध्यक्ष गौरव गोगोई ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को पूरे विपक्ष का साथ मिला। अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष को सदन में सरकार के बहुमत को चुनौती देने की अनुमति देता है, और यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है। लेकिन इससे पहले 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ आखिरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। हालांकि भाजपा सरकार के पास बहुमत का आंकड़ा मौजूद है।
पूर्ण बहुमत में मोदी सरकार, फिर अविश्वास प्रस्ताव क्यों ला रहा विपक्ष?
संसद में मणिपुर मामले पर जारी हंगामे के बीच विपक्ष ने केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला लिया है। बता दें कि मणिपुर में लंबे समय से हिंसा जारी है। इस मामले को लेकर प्रधान मंत्री की तरफ से कोई बड़ा बयान नहीं आया था। बीते दिनों सोशल मीडिया पर वहां से एक शर्मनाक वीडियो भी आया था। इस मामलें में सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री मात्र कुछ सेकेंड ही इस पर बयाँ दिया।
वहीं संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन के भीतर मणिपुर हिंसा पर बयान दें। अब सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी पर संसद के भीतर बयान देनेका दबाव बनाने के कई विकल्पों पर विचार करने के बाद यह फैसला किया गया कि अविश्वास प्रस्ताव ही सबसे कारगर रास्ता होगा जिसके जरिए सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विवश किया जा सकेगा। विपक्ष से जुड़े सूत्रों का यह भी कहना हैकि राज्यसभा के भीतर भी मणिपुर के विषय को लेकर सरकार को घेरने का सिलसिला जारी रहेगा। कह सकते हैं कि विपक्ष द्वारा सत्ताधारी दल पर दबाव बनाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।
मोदी सरकार को लंबी चर्चा के लिए मजबूर करना उद्देश्य
दरअसल, संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि पीएम मोदी सदन के भीतर मणिपुर हिंसा पर अपना बयान दें। इसके जरिए विपक्ष मोदी सरकार पर दबाव बनाना चाहती है ताकि केंद्र को लंबी चर्चा पर मजबूर किया जा सके।












