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शिमला शहरी: शॉर्टलिस्ट पैनल से बाहर किए जाने पर, टिकट दावेदारों ने पार्टी के खिलाफ खोला मोर्चा

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शिमला।
हिमाचल कांग्रेस में इन दिनों टिकट आवंटन को लेकर मंथन जारी है, लेकिन अभी से ही पार्टी में बगावत के सुर उठने लगे हैं। दरअसल शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की सीट के लिए टिकट का आवेदन करने वाले दावेदारों के नामों को शॉर्टलिस्ट पैनल से बाहर किए जाने पर, दावेदारों ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

पूर्व पार्षद एवं प्रदेश कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष रह चुके सुरेंद्र चौहान, पूर्व पार्षद एवं व्यापार मंडल के दो बार अध्यक्ष रहे इंद्रजीत सिंह, सात बार पार्षद एवं प्रदेश उपाध्यक्ष आनंद कौशल, पूर्व में पार्षद एवं शहरी कार्यकारिणी में सचिव रहे संजीव कुठियाला, कांग्रेस के प्रशिक्षण समन्वयक मस्त राम शर्मा, सेवादल की राज्य महासचिव सुनीता ठाकुर, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सोनिया चौहान और जोगिंद्र सिंह कंवर ने वीरवार एक बैठक कर शॉर्टलिस्ट पैनल पर सवाल उठाए। दावेदारों ने कहा कि चुनाव समिति नाम शॉर्टलिस्ट करने के लिए अपनाई प्रक्रिया को स्पष्ट करें।दावेदारों ने कांग्रेस पार्टी द्वारा आवेदन करने का मौका देने की लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाने का स्वागत किया, लेकिन चंद नामों को चुनाव कमेटी द्वारा शॉर्टलिस्ट करने पर आपत्ति जताई है।

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दावेदारों का कहना है कि पार्टी स्पष्ट करे कि आखिर किस आधार पर कुछ ही नाम शॉर्टलिस्ट किए गए। इसमें क्या प्रक्रिया अपनाई गई। इन्हें सूची से बाहर किए जाने पर वह खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। सालों से संगठन में वह अहम पदों पर काम कर चुके हैं। बावजूद इसके उन्हें बाहर कर दिया है। दावेदारों का आरोप है कि कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर की सरेआम अनदेखी की गई है। इसमें प्रदेश, जिला अध्यक्ष जैसे अहम पदों पर तैनात लोगों को टिकट न देने की बात कहकर आम कार्यकर्ता को चुनाव लड़ने का अवसर देने की बात कही थी। सुरेंद्र चौहान, इंद्रजीत सिंह और संजीव कुठियाला ने कहा कि वह प्रदेश प्रभारी, प्रदेशाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सहित और सुखविंद्र सिंह सुक्खू से इस मामले को लेकर मुलाकात करेंगे।

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दावेदारों का कहना है कि शॉटलिस्ट किए गए पैनल में अधिकतर नाम उन लोगों के शामिल हैं जो शहर के बाहर कसुम्पटी चुनाव क्षेत्र से संबद्ध रखते हैं। इससे सालों से मुख्य शहर में पार्टी और आम जनता के लिए कार्य करने वाले आवेदनकर्ताओं की अनदेखी हुई है। इससे जाहिर है कि जिसकी पहुंच है और राजनीति में आका है सिर्फ उन्हीं को चुनाव लड़ने का हक है। टिकट अगर उन्हीं को देना था तो आवेदन मंगवाने की क्या आवश्यकता थी। टिकट आवंटन की प्रक्रिया ऐसी ही रही तो आम कार्यकर्ता कभी भी विधानसभा तक चुनकर नहीं पहुंच पाएगा। बता दें कि कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ने के लिए शिमला शहरी हॉट सीट बन गई है। यहां पर पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा 40 आवेदन आए थे । लेकिन पार्टी से लंबे समय से जुड़े लोग शॉर्ट लिस्ट पैनल से अनदेखी करने पर नाराज है। भाजपा से लगातार तीन बार इस सीट को हारने के बाद कांग्रेस इस बार इस सीट को हथियाने के लिए कसरत जरूर कर रही है। लेकिन इस सीट पर उम्मीदवार का नाम तय करना मुश्किल होता नजर आ रहा है।

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