प्रजासत्ता नेशल डेस्क|
हिमाचल प्रदेश के काॅलेजों में नियमित प्राचार्य और प्रोफेसरों की कमी है। ऐसे में राज्य में इस सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू होगी या नहीं इसे लेकर संशय बना हुआ है। हिमाचल प्रदेश गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (एचजीसीटीए) के पदाधिकारियों के अनुसार राज्य में 30 काॅलेजे ऐसे हैं, जहां प्रति काॅलेज सिर्फ दो या तीन प्रोफेसर ही कार्यरत हैं।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एक अकादमिक सम्मेलन में भाग लेने वाले पहाड़ी राज्य के प्रतिनिधियों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करने के लिए राज्य के कॉलेजों में 500 अतिरिक्त प्रोफेसरो की भर्ती करने की सख्त आवश्यकता है।
इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (एचजीसीटीए) के पदाधिकारी भी शामिल रहे। साथ हीऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गनाइजेशन (AIFACTO) की ओर से आयोजित 32वें शैक्षणिक सम्मेलन में हिस्सा लिया।
एचजीसीटीए के अनुसार हिमाचल प्रदेश के 133 में से करीब 100 कॉलेज बिना नियमित प्राचार्यों के संचालित किए रहे हैं. वहीं 50 कॉलेज ऐसे हैं, जो निजी परिसरों से काम कर रहे हैं और करीब 30 में केवल दो या तीन प्रोफेसर हैं।
एचजीसीटीए के महासचिव आर एल शर्मा ने बताया कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र से कॉलेजों में एनईपी को लागू करने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि उचित प्रशासन और बुनियादी ढांचे के बिना, एनईपी को इस सत्र से लागू करना असंभव है। शर्मा ने कहा कि इसके कार्यान्वयन से पहले शिक्षकों और पॉलिसीमेकर्स के साथ संवाद और विचार-विमर्श की आवश्यकता है।
17 से 19 मार्च तक आयोजित हुए इस सम्मेलन की थीम ”आजादी के 75 वर्ष: भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति” रखी गई थी। एनईपी 2020 के कार्यान्वयन के संदर्भ में उच्च शिक्षा के सामने आने वाले मुद्दों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए देश भर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के 2,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया।











