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Teachers Day: मार्गदर्शक एवं परामर्शदाता की भूमिका का निस्वार्थ निर्वाहन करता हुआ आधुनिक शिक्षक

Teachers Day: मार्गदर्शक एवं परामर्शदाता की भूमिका का निस्वार्थ निर्वाहन करता हुआ आधुनिक शिक्षक

हीरा दत्त शर्मा|
Teachers Day 2023: भारतीय संस्कृति में हमने हमेशा ही अपने जीवन में शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण मानी हैl इस हद तक कि कहा भी गया है कि ” आचार्य देवो भव ” इसका मतलब है कि शिक्षक भगवान की तरह है l  सामान्य रूप से बड़े होते बच्चे अपना ज्यादा समय अपने माता-पिता की बजाय शिक्षकों के साथ गुजारते हैं l (Special Article on Teachers Day) माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं तो उनके पीछे यही विश्वास एवं विचार होता है कि कहीं ना कहीं वे जानते हैं कि उनके खुद के बजाएं कोई दूसरा उनके बच्चों के जीवन को संभाल एवं संवार सकता हैl

आजकल बहुत से लोगों को लगता है कि अब आज की आधुनिक पीढ़ी के लिए शिक्षक बिल्कुल महत्वहीन हो गया है क्योंकि जो कुछ कोई शिक्षक बता सकता है वह सब इंटरनेट एवं सोशल मीडिया पर उपलब्ध है पर किसी भी बच्चे, व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के भविष्य के निर्माण में एक शिक्षक की भूमिका सदैव महत्वपूर्ण होती हैl

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वास्तव में हमें लगता है कि अब तो शिक्षकों का महत्व कई गुना बढ़ गया है क्योंकि अब शिक्षकों पर जानकारी बांटने का बोझ नहीं रहा है l शिक्षक का मुख्य काम विद्यार्थी को प्रेरणा देना और उसे एक अच्छा मनुष्य बनाना है और यह हमेशा से शिक्षक का मुख्य नैतिक कार्य रहा है l शिक्षक अब कोई टेप रिकॉर्डर नहीं रहा गया है जो पढ़कर रटा दे एवं बोल दे, सिर्फ आपको कुछ जानकारी दें l वह एक ऐसा व्यक्ति है जो विद्यार्थी को एक खास तरह से होने या जीने की प्रेरणा देकर उसका जीवन बेहतर बनाता है l

बहुत से बच्चों के लिए कौन सा शिक्षक कौन सा विषय उन्हें पढ़ा रहा है इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चों को वह विषय प्रिय लगता है या उससे नफरत करते हैं अगर कोई विद्यार्थी किसी खास शिक्षक को पसंद करता है और उसके साथ भावात्मक रूप से जुड़ता है तो उसके द्वारा पढ़ाया जा रहा विषय उस विद्यार्थी के लिए अधिक रुचिकर बन जाता है l तो हम निश्चित रूप से यह कह सकते हैं की एक खास विषय में किसी विद्यार्थी की रुचि बनाने और उसकी योग्यताएं बढ़ाने में निश्चित रूप से शिक्षक की एक बड़ी भूमिका होती है अगर हमें किसी राष्ट्र को सफल, समर्थ, कुछ खास बनाना है तो सबसे ज्यादा बुद्धिशाली, प्रतिभावान युवाओं को ही स्कूल शिक्षक बनाना चाहिए l

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स्कूली शिक्षा के जीवन के पहले पन्द्रह सालों में किसी बच्चे पर किसी तरह का प्रभाव पड़ता है वह उसके जीवन का बहुत मूल्यवान एवं उपयोगी समय होता है l इसलिए सबसे अच्छे दिमाग वाले, सबसे ऊंचे स्तर की सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले एवं अखंडता वाले और प्रेरक लोगों को ही स्कूल शिक्षक होना चाहिए पर आजकल हमने एक ऐसे आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियां बना दी है जिसमें बहुत सारे लोग स्कूल शिक्षक सिर्फ इसलिए बनते हैं क्योंकि वह कहीं और नहीं जा सकते l

हां यह बात सभी शिक्षकों के बारे में नहीं कहीं जा सकती पर ज्यादातर के लिए सही है l इसे बदलना होगा, अगर यह नहीं बदलता तो हम कोई अर्थपूर्ण एवं अच्छे समाज को नहीं बना सकते l हम बहुत निचले स्तर के कमजोर, एवं अवांछनीय नागरिक तैयार करेंगे जिससे निचले स्तर के ही नागरिक, परिवार, समाज और राष्ट्र बनेंगे l
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