Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

मिडल से उच्च विद्यालय का दर्जा बढ़ाकर, छात्रों को बेहतर सुविधा प्रदान करना भूला शिक्षा विभाग

सूरजपुर उच्च पाठशाला में भवन खस्ताहाल

जी.एल. कश्यप|
पट्टा महलोग शिक्षा खंड के अंतर्गत सूरजपुर के मिडिल स्कूल का भले ही दर्जा बढ़ाकर मिडल से उच्च विद्यालय का दर्जा दे दिया है लेकिन छात्रों को बेहतर सुविधा प्रदान करना शिक्षा विभाग भूल गया है। हालात यह है कि बच्चों को बैठाने के लिए बनाए जाने वाला भवन दो वर्ष बीत जाने के बावजूद अधूरा पड़ा है। भवन का निर्माण करीब तीन लाख रुपये में किया गया है लेकिन भवन के चारो ओर न तो दीवारें दी गई है और न ही खिड़कियां व दरवाजे ही लग पाये है।

लोगों का कहना है कि कोविड-19 के कारण पहले ही बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई है और 15 अक्टूबर के बाद यदि स्कूल खुलते भी है तो बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि कक्षा 6 से दसवीं तक के विद्यार्थियों को तीन कमरों में पढ़ाई करनी पड़ती है।

इसे भी पढ़ें:  भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का बिंदल का कांग्रेस पर निशाना,बताया अहंकारी सोच रखने वाली पार्टी

हालांकि स्कूल में छह कमरे है जिनमें एक कमरा मुख्याध्यापक के लिए,एक कमरा स्टाफ के लिए और एक कमरा स्टोर के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। अन्य तीन कमरों में पांच कक्षाओं के बच्चों को बिठाया जाता है।

2017 में सूरजपुर स्कूल का दर्जा बढ़ाकर मैट्रिक तक कर दिया है लेकिन सुविधाएं अभी भी मिडिल स्तर की उपलब्ध हुई है। बताया जाता है कि 2018 में स्कूल भवन के लिए 3 लाख 15 हजार स्वीकृत हुए थे। दो वर्ष बीत जाने के बावजूद बनाये गये हाल के चारों ओर न तो दीवारें लगी है और न ही खिड़कियां व दरवाजे ही लग पाये है।

इसे भी पढ़ें:  Solan News: कुमारहट्टी के समीप HRTC बस और कार के बीच हुई टक्कर

ग्राम पंचायत सूरजपुर के प्रधान मनमोहन कौंडल, बीडीसी सलमा बेगम , वार्ड पंच रेशमा ठाकुर,तारा चंद, कबीरपंथी समाज के प्रधान बख़्शी राम व वीरेंद्र ठाकुर ने शिक्षा मंत्री व विधायक परमजीत सिंह पम्मी से मांग की है कि स्कूल के निर्माणाधीन हाल के लिए बजट का प्रावधान करवाया जाए क्योंकि चारदिवारी न होने के कारण आवारा पशु स्कूल परिसर में घुस जाते है जिससे परिसर में गंदगी का माहौल है।लोगों का कहना है कि स्कूल के पुराने भवन के कमरे क्षतिग्रस्त हो गये है। कमरों की छतों से पलस्तर गिर रहा है। इनकी भी शीघ्र मुरम्मत करवाई जाए।

उधर महलोग रियासत के वारिस मंच के उपाध्यक्ष खुर्मिन्दर सिसोदिया ने सरकार से यह मांग भी की है कि महलोग रियासत की सबसे पुराने प्राइमरी स्कूल जो 1903 में उनके पूर्वज तत्कालीन शासकों द्वारा खोला गया था और उन्होंने स्कूल के लिए 30 बीघा जमीन दान की थी इस स्कूल को धरोहर स्कूल का दर्जा देकर इसका संरक्षण किया जाए।

इसे भी पढ़ें:  SC-ST Development Fund: एससी-एसटी विकास निधि के लिए “स्पेशल एक्ट” बनाने के लिए मुहिम तेज हुई
संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment