Solan News: पर्यटक नगरी कसौली आज अपनी ही राज्य सरकार की उपेक्षा का शिकार बन चुकी है। कसौली को परवाणू और कालका से जोड़ने वाली बस सेवाएं कई महीनों से पूरी तरह से ठप पड़ी हैं। खासकर, दोपहर 3 बजे के बाद परवाणू से कसौली के लिए न तो सरकारी बस चल रही है और न ही निजी। पहले ये बस सेवाएं नियमित रूप से चलती थी, लेकिन अब निजी ऑपरेटरों ने इस रूट पर बसें बंद कर दी हैं और सरकारी बसें भी नहीं चल रही हैं, जिससे न सिर्फ स्थानीय लोग, बल्कि पर्यटक भी भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
जंगेशु पंचायत के ग्रामीणों ने बताया कि शाम 3 बजे के बाद कसौली जाने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में यदि किसी को कसौली जाना होता है, तो उन्हें निजी गाड़ी का सहारा लेना पड़ता है, जिससे लोगों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि रोजमर्रा के कामकाज के लिए भी उन्हें बड़ी दिक्कतें आ रही हैं। “हमारा जीना मुश्किल हो गया है, सरकार ने हमें भुला दिया है,” एक ग्रामीण ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए यह स्थिति और भी गंभीर है। बिना सार्वजनिक परिवहन के, बच्चे स्कूल से समय पर घर नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
HRTC का घाटे का बहाना या सरकारी जिम्मेदारी से भागना?
HRTC के रीजनल मैनेजर राम दयाल का कहना है कि पहले यह रूट निजी बसों के कारण घाटे में था, लेकिन अब जब वे बंद हो गई हैं, तो HRTC इस रूट पर बस सेवा फिर से शुरू करेगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकारी संस्थाओं का यह कर्तव्य नहीं बनता कि वे जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करें? क्या घाटे का बहाना बनाकर उन्हें समस्याओं में छोड़ देना सही है?
स्थानीय लोगों ने परिवहन मंत्री और प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और HRTC से तत्काल इस रूट पर बस सेवा बहाल करने की मांग की हैं। साथ ही, शाम के समय भी पर्याप्त वाहन उपलब्ध कराने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। पर्यटकों की सुविधा के लिए भी विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि कसौली की खूबसूरती का आनंद लेने के लिए आने वाले लोग भी किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करें।
वहीं, परिवहन विभाग और RTO सोलन से अपील की जा रही है कि इस रूट पर न चलने वाली निजी बसों के परमिट रद्द किए जाएं, ताकि कोई अन्य निजी ऑपरेटर इस रूट पर अपनी बस सेवा शुरू कर सके और लोगों को राहत मिल सके।











