Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Global Tariff Tensions: ग्लोबल टैरिफ युद्ध और सोने की कीमतों में उछाल से भारत में बढ़ सकती है महंगाई

Global Tariff Tensions: देश में सोने की कीमत में लगातार तेजी,जानिए आज क्या है 10 ग्राम सोने का भाव

Global Tariff Tensions: वैश्विक टैरिफ युद्ध, विशेष रूप से अमेरिका द्वारा 2025 में शुरू किए गए नए टैरिफ, ने वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल मचा दी है। अमेरिका ने चीन, यूरोपीय संघ, भारत और अन्य देशों पर महत्वपूर्ण टैरिफ लगाए हैं, जिसके जवाब में इन देशों ने भी जवाबी टैरिफ की घोषणा की है। यह टैरिफ गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमतों को बढ़ा सकते हैं, जिससे भारत में समग्र मुद्रास्फीति पर असर पड़ेगा।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक टैरिफ युद्ध और सोने की कीमतों में निरंतर वृद्धि आने वाले महीनों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर उल्लेखनीय प्रभाव डाल सकती है, भले ही खाद्य पदार्थों की कीमतें स्थिर रहें। रिपोर्ट में बताया गया है कि खाद्य कीमतों में स्थिरता के बावजूद, गैर-खाद्य वस्तुओं, खासकर कीमती धातुओं की बढ़ती कीमतों के कारण मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) के मापदंड CPI में इजाफा हो सकता है। ये गैर-खाद्य वस्तुएं समग्र महंगाई को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती हैं।

इसे भी पढ़ें:  Sukanya Samridhi Yojana: इस योजना में हर साल 35,000 रुपये जमा कर बनाएं 16 लाख रुपये का फंड, जानें पूरी डिटेल

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा मंगलवार को प्रकाशित मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2025 में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति मार्च के 3.34% से घटकर 3.16% पर आ गई, जो पिछले छह वर्षों में सबसे निचला स्तर है। इस कमी का कारण सब्जियों, दालों, फलों, मांस, मछली, व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों और अनाज की कीमतों में गिरावट है।

आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में कोर मुद्रास्फीति 4.09% पर लगभग स्थिर रही, जबकि सोने को छोड़कर कोर मुद्रास्फीति 3.3% रही। मार्च में 4.26% की वृद्धि के बाद कोर CPI (परिवहन को छोड़कर) नरम होकर 4.18% पर आ गया। कोर मुद्रास्फीति के अंतर्गत, व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों की मुद्रास्फीति मार्च के 13.50% से कम होकर 12.90% हो गई। इसके अतिरिक्त, UBI का अनुमान है कि जून और अगस्त 2025 के बीच 50 आधार अंकों की रेपो दर में कटौती हो सकती है।

इसे भी पढ़ें:  New Charges on Pension Schemes: एनपीएस, यूपीएस, एपीवाई, एनपीएस वात्सल्य खातों पर लगने वाले शुल्क तय, 1 अक्टूबर से इतने लगेंगे पैसे

रिपोर्ट में कहा गया, “वित्त वर्ष 2025 में CPI का औसत 3.7% और अप्रैल 2025 में 3.16% होने के साथ, जो 4% से काफी नीचे है, हम जून और अगस्त के बीच 50 आधार अंकों की रेपो दर कटौती की उम्मीद बरकरार रखते हैं।” यह मुद्रास्फीति स्तर अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों को आश्वस्त करता है, क्योंकि वर्तमान दरें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 2-6% की स्वीकार्य सीमा के भीतर हैं।

खुदरा मुद्रास्फीति ने आखिरी बार अक्टूबर 2024 में RBI के 6% के सहनीय स्तर को पार किया था। तब से यह 2-6% की सीमा में बनी हुई है, जिसे RBI प्रबंधनीय मानता है। खाद्य कीमतें पहले नीति निर्माताओं के लिए चिंता का कारण थीं, जो खुदरा मुद्रास्फीति को 4% के आसपास रखना चाहते थे।

इसे भी पढ़ें:  Silver Price Today: 13 अक्टूबर को चांदी की कीमतों में गिरावट, जानें देश के प्रमुख शहरों में ताजा रेट्स

भारत ने अपनी मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की है। RBI ने फरवरी 2025 में लगभग पांच साल बाद पहली बार रेपो दर में कटौती से पहले लगातार ग्यारह बैठकों में अपनी बेंचमार्क रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखा था।

YouTube video player
प्रजासत्ता न्यूज़ एक प्रमुख हिंदी समाचार प्लेटफ़ॉर्म है, जो देश और दुनिया की ताजातरीन घटनाओं, राजनीति, समाज, खेल, मनोरंजन, और आर्थिक खबरों को सटीक और निष्पक्ष तरीके से प्रस्तुत करता है। हमारी टीम का उद्देश्य सत्य, पारदर्शिता और त्वरित समाचार वितरण के जरिए पाठकों तक महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है। हम अपने कंटेंट के माध्यम से समाज की जागरूकता बढ़ाने और एक सूचित नागरिक समाज बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारी न्यूज़ टीम हमेशा विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी एकत्रित करती है और उसे सरल, सटीक और दिलचस्प तरीके से प्रस्तुत करती है।

Join WhatsApp

Join Now