NDA Women Cadets: नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के लिए 30 मई 2025 को एक ऐतिहासिक पल का गवाह बनने जा रही है। पहली बार NDA की महिला कैडेट्स पासआउट होंगी। पुणे स्थित इस प्रतिष्ठित सैन्य संस्थान से 17 महिला कैडेट्स, लगभग 300 पुरुष कैडेट्स के साथ पासआउट होंगी।
ये क्षण भारतीय सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। ये महिला कैडेट्स अब भारतीय नौसेना और वायुसेना में कमीशंड ऑफिसर के रूप में अपनी सेवाएं देंगी, जिससे देश की रक्षा व्यवस्था में नारी शक्ति का योगदान और मजबूत होगा।
NDA Women Cadets: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
यह ऐतिहासिक उपलब्धि सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2021 के उस साहसिक फैसले का परिणाम है, जिसमें महिलाओं को एनडीए और नौसेना अकादमी की प्रवेश परीक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी गई थी। यह फैसला कुश कालरा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में दायर एक याचिका के बाद आया, जिसमें महिलाओं को समान अवसर देने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को एनडीए में प्रवेश का अधिकार है। इस फैसले ने भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका को नए आयाम दिए और आज ये 17 महिला कैडेट्स उस सपने को साकार करती दिख रही हैं।
उल्लेखनीय है कि नवंबर 2021 में इस परीक्षा में कुल 5.7 लाख आवेदनों में से 1.78 लाख आवेदन महिलाओं के थे। इनमें से 1,002 महिला उम्मीदवारों ने लिखित परीक्षा पास की, और अंततः 17 महिला कैडेट्स NDA में चयनित हुईं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2025 में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने संसद में जानकारी दी थी कि 2022 से अब तक NDA में कुल 126 महिला कैडेट्स शामिल हो चुकी हैं। NDA प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि पुरुषों की तरह ही महिला कैडेट्स को भी तीन साल की गहन सैन्य प्रशिक्षण दी जाती है। हालांकि, शारीरिक संरचना के कुछ अंतर को ध्यान में रखते हुए, फिजिकल ट्रेनिंग में कुछ मामूली बदलाव किए गए हैं।
नारी शक्ति का हर मोर्चे पर परचम
भारत वह देश है जहां नारी को ‘शक्ति’ का प्रतीक माना जाता है। दुर्गा, लक्ष्मी, और सरस्वती के रूप में नारी पूजा की परंपरा रही है, लेकिन नए भारत में यह पूजा केवल प्रतीकात्मक नहीं रही। महिलाएं सेना, विज्ञान, न्यायपालिका, और राजनीति जैसे क्षेत्रों में नेतृत्व कर रही हैं। इसरो की वैज्ञानिक टेसी थॉमस, सुप्रीम कोर्ट की जज इंदु मल्होत्रा, और अब एनडीए की महिला कैडेट्स इस बात का सबूत हैं कि भारतीय नारी हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रही है।
हाल ही में ‘ऑपरेशन मरकरी’ (2024) में मेजर प्रियंका शर्मा और विंग कमांडर अनन्या मिश्रा ने आतंकवाद विरोधी अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर देश को गौरवान्वित किया। इसी तरह, कर्नल सोफिया कुरैशी ने विशेष बलों में शामिल होकर इतिहास रचा, जबकि नौसेना में लेफ्टिनेंट कमांडर प्रेरणा देहरा भारत की पहली महिला सबमरीनर बनीं। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि भारतीय सेना में महिलाएं अब केवल सहायक भूमिकाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि निर्णायक और नेतृत्वकारी जिम्मेदारियां निभा रही हैं।
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