Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Himachal Pradesh High Court: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अस्थायी नियुक्तियों पर राज्य सरकार को लगाई फटकार

Himachal Pradesh High Court: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अस्थायी नियुक्तियों पर राज्य सरकार को लगाई फटकार

Himachal Pradesh High Court: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नियमितीकरण  और जिम्मेदारियों से बचने के लिए अस्थायी नियुक्तियों का सहारा लेने पर कड़ी फटकार लगाई है। न्यायालय ने कहा कि इस तरह की प्रथाएं न केवल कर्मचारियों के अधिकारों का हनन करती हैं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही को भी कमजोर करती हैं।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 23 जून 2025 को एक अहम फैसले में कहा कि राज्य सरकार और उसके अधिकारी अस्थायी कर्मचारियों की नियमित नियुक्ति (Regularization) से बचने के लिए उन्हें लंबे समय तक अस्थायी रूप से नियुक्त नहीं रख सकते। अदालत ने इसे शोषणकारी और कानूनी रूप से अनुचित करार दिया।

न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि जो कर्मचारी तय सेवा-अवधि पूरी कर चुके हैं, उन्हें नियमित करने से इनकार करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह राज्य की जिम्मेदारियों से भागने जैसा है।

इसे भी पढ़ें:  Himachal News: हिमाचल के IAS आशुतोष गर्ग बने केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के निजी सचिव

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा पीठ ने यह भी कहा कि राज्य और उसके अधिकारी आवश्यक सेवा वर्ष पूरा कर चुके अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने से इनकार करने के लिए अनुचित तरीकों का उपयोग नहीं कर सकते हैं, उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को नियमितीकरण का लाभ देने से बचने के लिए उन्हें अस्थायी पदों पर रखना शोषणकारी और कानूनी रूप से अनुचित है।

पीठ ने माना कि “राज्य और उनके अधिकारी आवश्यक सेवा वर्ष पूरा कर चुके अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने से इनकार करने के लिए अनुचित तरीकों का उपयोग नहीं कर सकते हैं। यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है जो लंबे समय से अस्थायी रूप से काम कर रहे हैं और नियमितीकरण की उम्मीद कर रहे हैं।

इसे भी पढ़ें:  बागियों को मनाने में भाजपा और नड्डा पूरी तरह नाकाम,भुगतना पड़ेगा बड़ा खामियाजा

बता दें कि एक याचिका पर सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया को गंभीरता से लागू करना चाहिए। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो कर्मचारियों के हितों की रक्षा करें और उनकी सेवा स्थिरता सुनिश्चित करें।

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now