International Yoga Day: भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योग-शास्त्र, सुंदरता को बढ़ाता है योग :- शहनाज हुसैन

Published on: 11 June 2025
International Yoga Day: भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योग-शास्त्र, सुंदरता को बढ़ाता है योग :- शहनाज हुसैन

International Yoga Day 2025: सुंदर चमकीली त्वचा, गठीला शरीर, छरहरा बदन, चेहरे पर यौवनता, चमकीले बाल तथा प्राकृतिक रूप से सुंदर दिखने की चाहत में आजकल फिटनेस सेंटरों, जिम, सैलून, स्पा तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के महंगे सौंदर्य प्रसाधनों को खरीदने की होड़ आम देखी जा सकती है।

आजकल के प्रदूषण, तनाव, लाइफ स्टाइल तथा दिन-रात की भागदौड़ भरी जिंदगी से आप समय से पहले ही बूढ़े दिखने लगते हैं तथा युवा उम्र में ही चेहरे पर झुर्रियाँ, कील-मुहाँसे, फुंसियाँ, काले धब्बे लगातार परेशानी का सबब बन जाते हैं। अधिकांश लोग सुंदर दिखने की लालसा में क्या-क्या नहीं कर देते, लेकिन फिर भी ब्यूटी सैलूनों में घंटों फेयरनेस ट्रीटमेंट तथा कॉस्मेटिक पर भारी खर्च करने के बाद भी चेहरे का निखार कुछ दिनों बाद ही गायब हो जाता है। ऐसे में लोग उदास होकर दिल तोड़ बैठते हैं तथा उन्हें लगता है कि सुंदरता तो बिरासत में ही मिलती है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप शारीरिक रूप से सुंदर हैं तो आपका सौंदर्य चेहरे पर स्वाभाविक रूप से झलकेगा? कुछ योग आसनों के नियमित अभ्यास से आप प्राकृतिक सुंदरता, दमकती त्वचा तथा शारीरिक आकर्षण ग्रहण कर सकते हैं। वास्तव में, अगर आप योग साधना को अपने जीवन से जोड़ लें तो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही प्राकृतिक तौर पर स्थायी रूप से सुंदर तथा प्रभावशाली भी बनाया जा सकता है तथा महंगे सौंदर्य प्रसाधनों, ब्यूटी सैलूनों के महंगे उपचार और समय को बचाया जा सकता है।

भारतीय आयुर्वेदिक पद्धति में योग के साधारण आसनों के जरिए आप स्थायी आंतरिक तथा बाहरी सौंदर्य मुफ्त में आसानी से पा सकते हैं। प्रतिदिन महज आधा घंटा सुबह तथा शाम सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, उत्थान आसन, कपालभाति, धनुरासन तथा साँसों की क्रिया के माध्यम से आप अपने यौवन, सौंदर्य तथा प्राकृतिक आकर्षण को जीवन पर्यंत बनाए रख सकते हैं।

बालों तथा त्वचा के सौंदर्य को बनाए रखने में प्राणायाम महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। प्राणायाम से जहाँ तनाव कम होता है, वहीं दूसरी ओर शरीर में प्राणवायु का प्रभावी संचार होता है तथा रक्त का प्रवाह बढ़ता है। प्राणायाम सही तरीके से साँस लेने की बेहतरीन कला है। प्रतिदिन 10 मिनट तक प्राणायाम से मानव शरीर की प्राकृतिक क्लींजिंग हो जाती है।

प्राणायाम का आज पूरे विश्व में अनुसरण किया जाता है। प्राणायाम से मानव खोपड़ी में व्यापक ऑक्सीजन तथा रक्त संचार होता है, जिससे बालों की प्राकृतिक रूप से वृद्धि होती है तथा बालों का सफेद होना और झड़ने जैसी समस्याओं को रोकने में भी मदद मिलती है। योग का मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक तथा मनोभाव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है। योग से आप आंतरिक तौर पर शांत महसूस करते हैं, जिससे आपके बाहरी सौंदर्य में भी निखार आता है।

आमतौर पर अनिद्रा, तनाव आदि से पैदा होने वाली कील, मुहाँसे, काले धब्बों आदि की समस्याओं के स्थायी उपचार में योग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। उत्थान आसन के लगातार उपयोग से आप कील, मुहाँसे, काले धब्बों आदि की समस्याओं का स्थायी उपचार पा सकते हैं। कपालभाति शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड को हटाकर खून को साफ करने में मदद करती है, जिससे शरीर में हल्कापन महसूस होता है। धनुरासन से शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है तथा शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है, इससे शरीर की त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है तथा त्वचा की रंगत में निखार भी आता है।

योग के लगातार अभ्यास से त्वचा तथा शरीर में यौवन को दीर्घकालीन तौर पर बनाए रखने में मदद मिलती है। योगासनों से रीढ़ की हड्डी तथा जोड़ों को लचीला बनाए रखा जा सकता है, जिससे शरीर लंबे समय तक लचीला तथा आकर्षक बनता है। योग से शरीर के वजन को कम करने में भी मदद मिलती है तथा इससे मांसपेशियाँ नरम और मुलायम हो जाती हैं। योग से थकान से मुक्ति मिलती है तथा शरीर में ऊर्जा का प्रभावी संचार होता है। सूर्य नमस्कार आसन से पूरे शरीर में नवयौवन का संचार होता है। सूर्य नमस्कार से शरीर पर बढ़ती आयु के प्रभाव को रोका जा सकता है तथा यह चेहरे और शरीर पर बुढ़ापे की भाव-मुद्राओं के प्रभाव को रोकने में मददगार साबित होता है।

चेहरे की झुर्रियों से मुक्ति पाने के लिए सूर्य नमस्कार तथा प्राणायाम दोनों प्रभावी आसन हैं।

आपके सुंदर दिखने के लिए जरूरी नहीं कि आप सुंदर ही पैदा हुए हों, आप अपने प्रयत्नों से सौंदर्य प्राप्त कर सकते हैं। अच्छा स्वास्थ्य तथा सौंदर्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यदि आप आंतरिक रूप से सुंदर नहीं हैं, तब तक आपका सौंदर्य चेहरे पर नहीं झलक सकता। सुंदर त्वचा, चमकीले बाल तथा छरहरे बदन के लिए अच्छी सेहत का होना परम आवश्यक है।

वास्तव में, मैंने समग्र स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक सिद्धांत को प्रोत्साहित किया, जिसमें योग को इस कार्यक्रम का अभिन्न अंग माना गया। मेरी समग्र सौंदर्य देखभाल की विशिष्ट अवधारणा को विश्व भर में सराहा गया है। वास्तव में, मेरा विचार है कि आज की आधुनिक जीवनशैली में स्वास्थ्य तथा सौंदर्य के संदर्भ में योग काफी सार्थक है। योग मेरे व्यक्तिगत जीवन का अभिन्न अंग रहा है तथा मैंने इसके असंख्य लाभ महसूस किए हैं।

योग से मानसिक और शारीरिक दोनों को प्रचुर लाभ मिलता है। इससे न केवल सभी मांसपेशियों को फायदा होता है, बल्कि इससे प्राणशक्ति बढ़ती है तथा आंतरिक अंगों की रंगत में निखार आता है। इससे नाड़ी तंत्र को स्थिर रखने में मदद मिलती है। इससे तनाव को कम करने तथा मानसिक संतुलन में भी लाभ मिलता है। योग प्राचीन भारतीय विद्या है तथा इसके निरंतर अभ्यास से संयमित व्यक्तित्व तथा वृद्धावस्था की भाव-मुद्राओं को रोकने में मदद मिलती है।

योग का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इससे साँसों पर नियंत्रण रहता है तथा योगाभ्यास के दौरान साँस खींचने और साँस बाहर निकालने की उचित विधि से श्वास को संयमित करने में मदद मिलती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन को नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध होता है। योग से शारीरिक तथा मानसिक उल्लास की असीम अनुभूति प्राप्त होती है।

योग सौंदर्य के लिए अत्यंत आवश्यक है क्योंकि आंतरिक सौंदर्य से ही सही शारीरिक सौंदर्य की प्राप्ति की जा सकती है।

योग से रक्त संचार के प्रवाह में सुधार होता है, जिससे त्वचा की सतह तक पर्याप्त मात्रा में रक्त संचार होता है तथा यह रक्त संचार सुंदर त्वचा के लिए अत्यधिक आवश्यक होता है क्योंकि इससे त्वचा को आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं, जिससे त्वचा सुंदर तथा निखरी दिखाई देती है। योग के माध्यम से शरीर के विषैले तत्व त्वचा के माध्यम से बाहर आते हैं तथा रक्त संचित त्वचा के मामले में योग सबसे ज्यादा लाभदायक सिद्ध होता है।

इससे त्वचा में रंगत तथा स्फूर्ति आती है। योग से सौंदर्य में व्यापक निखार आता है तथा यह त्वचा को ताजा और बीमारियों से पूरी तरह मुक्त रखता है। यह अवधारणा बालों पर भी लागू लागू होती है। योग से सिर की खाल और बालों के कोश में रक्त संचार तथा ऑक्सीजन का व्यापक निरंतर प्रवाह होता है। इससे बालों के रक्त संचार को पोषक तत्व प्रदान करने में काफी मदद मिलती है, जिससे बालों की वृद्धि तथा सिर की खाल को स्वस्थ रखने में बहुत मदद मिलती है।

जब हम सौंदर्य की बात करते हैं तो हम केवल बाहरी चेहर की सौंदर्य की ही बात नहीं करते, बल्कि इसमें आंतरिक सूरत भी शामिल होती है, जिसमें लचकपन, हाव-भाव और शारीरिक आकर्षण होना नितांत आवश्यक होता है।

जहाँ तक बाहरी सौंदर्य का संबंध है, वहाँ छरहरे बदन से व्यक्ति काफी युवा दिखाई देता है, जो लंबे समय तक यौवन बनाए रखने में सहायक होता है। योग से शरीर के हर टिशू को ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जिससे शरीर में सौंदर्य तथा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यदि आप ऐसी जीवनशैली जी रहे हैं, जिसमें शारीरिक गतिविधि नगण्य है, तो आप वास्तव में बुढ़ापे को निमंत्रण दे रहे हैं।

योग तथा शारीरिक श्रम से मनुष्य को यौवन की स्थिति को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद मिलती है क्योंकि इससे शरीर सुदृढ़ होता है तथा शरीर को सुव्यवस्थित और तंदुरुस्त रखने में भी मदद मिलती है। योग आसनों से रीढ़ की हड्डी और हड्डियों के जोड़ों को लचीला और कोमल बनाने में मदद मिलती है। इससे शरीर सुदृढ़ और फुर्तीला बनता है। मांसपेशियों में रंगत आती है, रक्त संचार में सुधार होता है, प्राणशक्ति का प्रवाह होता है तथा सौंदर्य और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।

अनेक सौंदर्य समस्याएँ मानसिक तनाव की वजह से उत्पन्न होती हैं। योग से तनाव को कम करने तथा स्वच्छंद मानसिक उन्मुक्त वातावरण तैयार करने में मदद मिलती है तथा इससे तनाव से जुड़ी सौंदर्य समस्याओं से निजात पाने में मदद मिलती है। योग के लगातार अभ्यास से कील, मुहाँसों, बालों के झड़ने की समस्याओं, सिर की रूसी आदि समस्याओं का स्थायी उपचार मिलता है।

योग और शारीरिक क्रियाएँ करने वाले युवाओं पर किए गए अध्ययनों में यह पाया गया है कि उनके व्यक्तित्व में भावनात्मक स्थिरता, आत्मविश्वास, उचित मनोभाव जैसे सकारात्मक बदलाव महसूस किए जाते हैं, जिनका दिमाग, भावनाओं और मिजाज पर सीधा प्रभाव दिखाई देता है। वास्तव में, योग नियमित रूप से तनाव से मुक्ति प्रदान करता है, जिससे त्वचा पर रंगत वापस आ जाती है। योग करने से आप तत्काल पुनः यौवन प्राप्त कर चट प्रसन्न महसूस कर सकते हैं।

वास्तव में, योग से बाहरी शारीरिक सौंदर्य को निखारने और संवारने में काफी मदद मिलती है।

आज का समय लगातार बढ़ती जटिलताओं और गति का समय है। जीवन-यापन के लिए हर कोई लगातार गतिमान है। भाग-दौड़ की इन स्थितियों में एक सुसंगत, संयमित और स्वस्थ जीवन-दृष्टि की खोज हर व्यक्ति को है। हर कोई अपने शरीर को स्वस्थ रखना चाहता है। भारतीय परंपरा हमेशा से ही जीवन को समग्र और संतुलित रूप से जीने की दृष्टि देती रही है।

भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योग-शास्त्र। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, वरन यह जीवन को संतुलित रूप से जीने का शास्त्र है। यह निरंतर बढ़ती हुई भाग-दौड़ में व्यक्तित्व को एक ठहराव, एक गहराई देने की विद्या है। ऐसे में आज न केवल भारत बल्कि विश्व के दूसरे देश भी योग को जीवनशैली में सुधार लाने का एक प्रमुख उपाय मान रहे हैं।

जीवन की भाग-दौड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर हर कोई जिंदगी को आसान बनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में क्या हम अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए थोड़ा समय योग को नहीं दे सकते? योग एक ऐसी विद्या है, जिससे हम अपने मन को स्थिर कर सकते हैं। जब तक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता, हमारा तन भी अशुद्ध रहता है। योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और हमारा तन-मन निरोगी हो जाता है। योगाभ्यास से मन को स्वस्थ और शांत बनाया जा सकता है।

शरीर को स्वस्थ बनाने में तन और मन का बेहतर योगदान होता है। आमतौर पर देखा गया है कि हमारी शारीरिक बीमारियों के मानसिक आधार होते हैं। क्रोध हमारे मन को विकृत करता है, जिससे हम विभिन्न प्रकार की बीमारियों से घिर जाते हैं, फिर भी क्रोध से बिल्कुल अनभिज्ञ रहते हैं। योगाभ्यास क्रोध पर नियंत्रण रखने में अहम भूमिका निभाता है।

जब हम सौंदर्य की बात करते हैं तो हम केवल बाहरी चेहरे की सौंदर्य की ही बात नहीं करते, बल्कि इसमें आकृति में सुंदरता भी शामिल होती है, जिसमें लचकपन, हाव-भाव और शारीरिक आकर्षण होना नितांत आवश्यक होता है।

जहाँ तक बाहरी सौंदर्य का संबंध है, वहाँ छरहरे बदन से व्यक्ति काफी युवा दिखाई देता है, जो लंबे समय तक यौवन बनाए रखने में सहायक होता है। योग से शरीर के हर टिशू को ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जिससे शरीर में सौंदर्य और स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यदि आप ऐसी जीवनशैली जी रहे हैं, जिसमें शारीरिक गतिविधि नगण्य है, तो आप वास्तव में बुढ़ापे को निमंत्रण दे रहे हैं।

योग और शारीरिक श्रम से मनुष्य को यौवन की स्थिति को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद मिलती है क्योंकि इससे शरीर सुदृढ़ होता है और शरीर को सुव्यवस्थित और तंदुरुस्त रखने में भी मदद मिलती है। योग आसनों से रीढ़ की हड्डी और हड्डियों के जोड़ों को लचीला और कोमल बनाने में मदद मिलती है। इससे शरीर सुदृढ़ और फुर्तीला बनता है। मांसपेशियों में रंगत आती है, रक्त संचार में सुधार होता है, प्राणशक्ति का प्रवाह होता है और सौंदर्य और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।

अनेक सौंदर्य समस्याएँ मानसिक तनाव की वजह से उत्पन्न होती हैं। योग से तनाव को कम करने और स्वच्छंद मानसिक उन्मुक्त वातावरण तैयार करने में मदद मिलती है और इससे तनाव से जुड़ी सौंदर्य समस्याओं से निजात पाने में मदद मिलती है। योग के लगातार अभ्यास से कील, मुहाँसों, बालों के झड़ने की समस्याओं, सिर की रूसी आदि समस्याओं का स्थायी उपचार मिलता है।

योग और शारीरिक क्रियाएँ करने वाले युवाओं पर किए गए अध्ययनों में यह पाया गया है कि उनके व्यक्तित्व में भावनात्मक स्थिरता, आत्मविश्वास, उचित मनोभाव जैसे सकारात्मक बदलाव महसूस किए जाते हैं, जिनका दिमाग और भावनाओं और मिजाज पर सीधा प्रभाव दिखता है। वास्तव में, योग नियमित रूप से तनाव से मुक्ति प्रदान करता है, जिससे त्वचा पर रंगत वापस आ जाती है।

वास्तव में, योग से बाहरी शारीरिक सौंदर्य को निखारने और सँवारने में काफी मदद मिलती है।

आज का समय लगातार बढ़ती जटिलताओं और गति का समय है। जीवन-यापन के लिए हर कोई लगातार गतिमान है। भाग-दौड़ की इन स्थितियों में एक सुसंगत, संयमित और स्वस्थ जीवन-दृष्टि की खोज हर व्यक्ति को है। हर कोई अपने शरीर को स्वस्थ रखना चाहता है। भारतीय परंपरा हमेशा से ही जीवन को समग्र और संतुलित रूप से जीने की दृष्टि देती रही है।

भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योग-शास्त्र। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, वरन यह जीवन को संतुलित रूप से जीने का शास्त्र है। यह निरंतर बढ़ती हुई भाग-दौड़ में व्यक्तित्व को एक ठहराव, एक गहराई देने की विद्या है। ऐसे में आज न केवल भारत बल्कि विश्व के दूसरे देश भी योग को जीवनशैली में सुधार लाने का प्रमुख उपाय मान रहे हैं।

जीवन की भाग-दौड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर हर कोई जिंदगी को आसान बनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में क्या हम अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए थोड़ा समय योग को नहीं दे सकते?

योग एक ऐसी विद्या है, जिससे हम अपने मन को स्थिर कर सकते हैं। जब तक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता, तब तक हमारा तन भी अशुद्ध रहता है। योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और हमारा तन-मन निरोगी हो जाता है। योगाभ्यास से मन को स्वस्थ और शांत बनाया जा सकता है।

लेखिका अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ हैं।

 

Tek Raj

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