Kullu Dussehra 2025: हिमाचल प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा का शुभारंभ वीरवार से होने जा रहा है। यह पर्व भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ शुरू होगा, जिसमें करीब 300 से अधिक देवी-देवताओं की शानदार मौजूदगी रहेगी। यह उत्सव ढालपुर मैदान में देवताओं के विशाल समागम के रूप में मनाया जाएगा, जो स्थानीय परंपराओं और आस्था का अनुपम संगम प्रस्तुत करेगा।
तैयारियां पूरी, देवी-देवता पहुंचे
जानकारी के मुताबिक बुधवार की देर शाम तक 200 से अधिक देवी-देवता अपने अस्थायी शिविरों में विराजमान हो चुके हैं। दशहरा उत्सव समिति ने इस बार 332 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा है। भगवान रघुनाथ के सम्मान में यह पर्व पिछले 365 वर्षों से, यानी 1660 ईस्वी से मनाया जा रहा है, जो इसे देवलोक का सबसे भव्य आयोजन बनाता है। सबसे दूरस्थ आनी-निरमंड क्षेत्र से 16 देवी-देवता 150 से 200 किलोमीटर की यात्रा तय करके कुल्लू पहुंचे हैं। इनमें माता हिडिंबा भी शामिल हैं, जो रामशिला और बिजली महादेव के रास्ते सुल्तानपुर पहुंची हैं।
दूर-दूर से आए देवी-देवता
कुल्लू दशहरा में आउटर सिराज से खुडीजल महाराज, शमशरी महादेव, व्यास ऋषि, कोट पझारी, जोगेश्वर महादेव, कुईकंडा नाग, टकरासी नाग, चोतरु नाग, बिशलू नाग, चंभू उर्टू, चंभू रंदल, चंभू कशोली, शरशाई नाग, कुई कंडा नाग घाटू, भुवनेश्वरी माता दुराह और सप्तऋषि थंथल जैसे देवी-देवता 150 से 200 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंचे हैं।
रथयात्रा का शुभारंभ
वीरवार दोपहर 2 बजे भगवान रघुनाथ अपने मंदिर से पुलिस की कड़ी निगरानी में पालकी में सवार होकर ढालपुर के लिए प्रस्थान करेंगे। शाम 4:30 बजे रथ मैदान से उनकी रथयात्रा शुरू होगी, जिसके साथ पूरा ढालपुर देवलोक में तब्दील हो उठेगा। इस ऐतिहासिक पल के गवाह राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल बनेंगे, जो भगवान रघुनाथ के अस्थायी शिविर में जाकर आशीर्वाद लेंगे। दशहरा उत्सव के अध्यक्ष और विधायक सुंदर सिंह ठाकुर ने बताया कि आयोजन के लिए सभी इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं।
सुरक्षा और व्यवस्था
उत्सव के दौरान सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के लिए 1,200 पुलिस जवान तैनात किए गए हैं। 14 सेक्टरों की निगरानी के लिए ड्रोन और 136 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, ताकि कोई अनहोनी न हो।
इस बार नहीं होंगे सांस्कृतिक प्रदर्शन
बता दें कि इस बार प्राकृतिक आपदा के चलते इस वर्ष विदेशी सांस्कृतिक दलों, विभिन्न राज्यों के कलाकारों और बॉलीवुड हस्तियों की भागीदारी नहीं होगी। साथ ही, उत्तर भारत स्तरीय वॉलीबाल प्रतियोगिता भी रद्द कर दी गई है।
दशहरा समिति ने इस बार की थीम ‘आपदा से उत्सव की ओर’ रखी है, जो प्रभावित क्षेत्रों को संदेश देती है कि मुश्किलों के बावजूद जीवन को खुशियों से जोड़ा जा सकता है। कुल्लूवासियों के लिए यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। लोग उत्साह से तैयारियों में जुटे हैं और इस भव्य आयोजन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।












