Breaking News!: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिमला जिला के रोहड़ू में 12 वर्षीय बच्चे की आत्महत्या मामले में मुख्य आरोपी को दी गई अग्रिम जमानत को खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि एससी-एसटी एक्ट की धारा 18 के नियमों के चलते यह जमानत वैध नहीं है। जस्टिस राकेश कैंथला की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। अब इस मामले में आरोपी कि गिरफ्तारी भी हो सकती है। दरअसल बीते दिन शिमला के रोहड़ू में 12 वर्षीय बच्चे ने आत्महत्या कर ली थी।
बच्चे की मां का कहना है कि गांव की तीन महिलाओं ने उसके बेटे को बेहरमी से पीटकर गौशाला में बंद कर दिया था। इस घटना से आहत होकर उसने जहर निगल लिया और उसकी मौत हो गई। हालांकि इस मामले में आरोपित को पहले हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी थी लेकिन बाद में एससी-एसटी की एक्ट कि धाराओं में मामला दर्ज होने के पर यह मामला फिर से हाईकोर्ट में विचारधिन था। लेकिन मंगलवार को हिमाचल हाईकोर्ट ने आरोपी को दी गई अग्रिम जमानत को खारिज कर दी।
पीड़ित पक्ष का आरोप है कि अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले बच्चे को घर को छूने पर बुरी तरह से यातनाएं दीं व उसने आत्महत्या कर ली। बता दें कि 20 सितंबर को यह मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि गांव की एक महिला पुष्पा देवी के घर को छुआ है।
क्या है मामला
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। यहां चिरगांव थाना क्षेत्र के लिम्बड़ा गांव में 12 साल का एक दलित बच्चा छुआछूत के अपमान से आहत होकर जहर खाकर आत्महत्या कर लेता है।
घटना 16 सितंबर 2024 की है। मासूम बच्चा, जो अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखता था, दोपहर में एक दुकान पर सामान लेने गया। दुकान बंद होने पर वह दुकान मालकिन के घर के आंगन में चला गया। दुकान मालकिन, जो ऊपरी जाति से थी, ने बच्चे को अपना घर ‘अपवित्र’ मान लिया। गुस्से में उसने दो अन्य महिलाओं के साथ मिलकर बच्चे की जमकर पिटाई की और उसे गौशाला में बंद कर दिया।
ऊपर से ‘शुद्धिकरण’ के नाम पर बच्चे के परिवार से बकरी मांगने लगी। किसी तरह बच्चा वहां से भागा, लेकिन अपमान की चुभन इतनी गहरी थी कि शाम को घर लौटते ही उसने जहर पी लिया।बच्चे के पिता ने बताया कि शाम साढ़े सात बजे वह घर पहुंचे तो बेटा बिस्तर पर बेहोश पड़ा था। परिवार ने फौरन उसे रोहड़ू के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया, लेकिन हालत बिगड़ने पर शिमला के आईजीएमसी रेफर कर दिया गया।
वहां डॉक्टरों ने पुष्टि की कि बच्चे ने जहर खाया है। करीब डेढ़ बजे रात को उसकी मौत हो गई। मरने से पहले बच्चे ने अपनी मां को सारी आपबीती सुना दी थी। मां ने पुलिस को दी शिकायत में कहा, “बच्चा इतना डरा हुआ था कि कुछ बोल ही नहीं पाया।”पुलिस ने 18 सितंबर को भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 107, 127(2), 115(2) और 3(5) के तहत केस दर्ज किया। बाद में छुआछूत और जातिगत अत्याचार सामने आने पर एससी-एसटी एक्ट जोड़ दिया गया।












