Vimal Negi Death Case: हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के मुख्य इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत के मामले में बड़ा अपडेट आया है। इस मामले में गिरफ्तार पुलिस एएसआई पंकज शर्मा को उच्च न्यायालय ने कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी है। बता दें कि पंकज पर आरोप था कि उन्होंने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की थी। इसी वजह से सीबीआई ने 14 सितंबर को उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के बाद 16 सितंबर से वे जेल में बंद थे।
इससे पहले 27 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पहले ही जमा कर दी थी। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं। सीबीआई का कहना था कि पंकज को रिहा नहीं करना चाहिए, क्योंकि जांच अभी पूरी नहीं हुई है। लेकिन पंकज के वकील ने बताया कि उन्होंने सीबीआई को हर सवाल का जवाब दे दिया है और अब उन्हें जेल में रखने की कोई वजह नहीं बची।
पंकज ने दावा किया कि वे निर्दोष हैं और उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है। उस वक्त वे शिमला के सदर थाने में तैनात थे। सीबीआई ने उन्हें बिलासपुर जिले के उनके गांव जोल बहल से पकड़ा था। मामला शुरू हुआ था इस साल 10 मार्च को लापता हुए नेगी 18 मार्च को बिलासपुर जिले में मृत पाए गए थे। शर्मा नेगी की पेन ड्राइव और अन्य दस्तावेज बरामद करने वाले पहले व्यक्ति थे। 19 मार्च को एफआईआर दर्ज की गई। फिर 23 मई को हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी। इसके बाद 26 मई को एएसआई के खिलाफ नया केस दर्ज हुआ।
दरअसल, 18 मार्च की सुबह स्वारघाट थाने को विमल नेगी की लाश मिलने की सूचना मिली थी। शिमला सदर थाने में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट पहले से दर्ज थी। पंकज को लाश की पहचान के लिए स्वारघाट भेजा गया। वहां पहुंचकर उन्होंने मछुआरे सुनील को लाश पलटने को कहा ताकि चेहरा देखा जा सके। फिर सुनील ने ही मृतक की जेबें टटोलीं। जैकेट से पर्स निकला, जिसमें पैसे, पेन ड्राइव और ड्राइविंग लाइसेंस था। ये सब पंकज को सौंप दिया गया।
सीबीआई ने 14 सितंबर, 2025 को शर्मा को नेगी के शव से बरामद पेन ड्राइव की सामग्री छिपाने और उसमें छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके बाद शर्मा को विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
शिमला की विशेष सीबीआई कोर्ट ने पहले पंकज की जमानत खारिज कर दी थी और उन्हें जेल भेज दिया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की। अब न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की बेंच ने कहा कि जिन धाराओं में केस दर्ज है, उनकी अधिकतम सजा को देखते हुए पंकज को लंबे समय तक जेल में रखना ठीक नहीं। कोर्ट ने 50 हजार रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही राशि का एक जमानती देने की शर्त पर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया। पंकज ने कहा कि वे कोर्ट की हर शर्त मानने को तैयार हैं।












