HP Lecturer Promotion Controversy: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के 592 प्रवक्ताओं के डिमोशन से जुड़े एक अहम मामले में बड़ा हस्तक्षेप किया है। शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई पर तुरंत रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने हिमाचल सरकार की अपीलें स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के फैसलों पर अंतरिम रोक लगा दी है। इससे सतीश कुमार बनाम हिमाचल प्रदेश और पूर्णिमा कुमारी बनाम हिमाचल प्रदेश मामलों में डिमोशन, सीनियोरिटी पुनर्निर्धारण और प्रमोशन की सभी प्रक्रियाएं फिलहाल ठप हो गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने हिमाचल प्रदेश बनाम सतीश कुमार एवं अन्य मामले में सरकार की अपील को सुनवाई योग्य मानते हुए हाईकोर्ट के आदेश और उससे जुड़ी अवमानना कार्यवाही पर पूरी तरह रोक लगा दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि अपील लंबित रहने तक हाईकोर्ट का कोई भी पूर्व आदेश लागू नहीं होगा। इससे शिक्षा विभाग पर लटकी तलवार हट गई है। मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी।
दरअसल, यह सब हिमाचल सरकार बनाम सतीश कुमार नामक एक पुराने मामले से शुरू हुआ। हाई कोर्ट ने पहले यह आदेश दिया था कि 2002 में भर्ती हुए TGT शिक्षकों को 1 मई, 2003 से “नियमित सेवा” का दर्जा और उसके सभी लाभ दिए जाएँ (हालाँकि पिछले वर्षों का वेतन नहीं मिलेगा)। इसी आदेश के आधार पर, शिक्षा विभाग ने 592 प्रवक्ताओं को उनके मूल TGT पद पर वापस ले जाने (डिमोट करने) की प्रक्रिया शुरू की थी। इसका मकसद वरिष्ठता की सूची को फिर से बनाना था।
दूसरी ओर, पूर्णिमा कुमारी बनाम राज्य हिमाचल प्रदेश मामले में हाईकोर्ट ने 10 सितंबर 2024 को दिए अपने ही आदेश पर स्वतः संज्ञान लेते हुए अंतरिम रोक लगा दी। उस आदेश में शिक्षा विभाग को निर्देश था कि टीजीटी शिक्षकों की सीनियोरिटी लिस्ट संशोधित की जाए। उन्हें 18 जून 2024 के विभागीय आदेश के तहत नियमित सेवा लाभ दिए जाएं। इसके अलावा तब तक किसी जूनियर शिक्षक को प्रवक्ता (पीजीटी) पद पर प्रमोशन न दिया जाए। अब इस आदेश पर भी स्टे लगने से विभाग की सांस में सांस आई है।
दोनों न्यायिक रोकों के बाद शिक्षा विभाग द्वारा जारी सीनियरिटी निर्धारण, प्रमोशन और डिमोशन संबंधी सभी कार्रवाइयां स्थगित कर दी गई हैं। सरकार को यह अस्थायी राहत मिली है, लेकिन प्रभावित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट की अंतिम सुनवाई तक इंतजार करना पड़ेगा।
बता दें कि न्यायालय ने कहा था कि 2002 की भर्ती प्रक्रिया में चयनित टीजीटी शिक्षकों को पहली मई 2003 से नियमित सेवा में माना जाएगा तथा उन्हें सभी सेवा संबंधी लाभ दिए जाएंगे, यद्यपि वेतन लाभ नहीं मिलेंगे। इन्हीं दोनों आदेशों के आधार पर शिक्षा विभाग ने 592 प्रवक्ताओं को टीजीटी पद पर डिमोट करने की प्रक्रिया आरंभ की थी, ताकि डीम्ड रेगुलर सेवा लाभ प्रदान करते हुए वरिष्ठता और पदोन्नति सूची पुनः निर्धारित की जा सके।












