Solan News: हिमाचल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल के गृह जिले में ही उनकी सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था ‘राम भरोसे’ चल रही है। सोलन जिला के दून विधानसभा क्षेत्र के पटटा महलोग में रविवार को हुए सड़क हादसे में दो युवक गंभीर रूप से घायल हो गए, लेकिन नजदीकी CHC पटटा महलोग में न डॉक्टर मिला, न नर्स, न ही कोई स्टाफ। 108 एंबुलेंस दो घंटे बाद पहुंची, तब तक ग्रामीणों ने निजी वाहनों से घायलों को बद्दी भेजा।
इस घटना ने हिमाचल प्रदेश में लाचार पड़े स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलकर रख दी है। बता दें कि हम जिस अस्पताल की बात कर रहें हैं वह स्वास्थ्य मंत्रीजी का अपना जिला है और पूर्व सीपीएस और वर्तमान विधायक राम कुमार चौधरी का इलाका है , फिर भी यहाँ पर स्वास्थ्य सुविधाएँ शून्य है ! बड़े बड़े मचों पर प्रदेश के मुख्यमंत्री रोबोटिक सर्जरी कि बातें करते हैं लेकिन पट्टा महलोग जैसे अस्पताल में हादसे में घायलों को प्राथमिक उपचार भी नहीं मिल रहा है।
जानकारी के मुताबिक रविवार दोपहर पटटा महलोग की संकरी पहाड़ी सड़क पर बाइक सवार दो युवक ट्रक की टक्कर में गंभीर रूप से जख्मी हो गए। सिर फटने, हड्डियाँ टूटने और खून बहने की हालत में ग्रामीण उन्हें तुरंत CHC पटटा महलोग ले गए। लेकिन वहाँ का नजारा देख सब हैरान रह गए, क्योंकि एकमात्र चिकित्सक वह भी अनुपस्थित tथे किसी से जानकारी मिली कि वे दूसरे अस्पताल में डेपुटेशन पर है। कोई इमरजेंसी वार्ड अटेंडेंट भी मौजूद नहीं था। इसके अलावा प्राथमिक उपचार किट तक बंद पड़ी थी।
ग्रामीणों ने 108 को कॉल किया तो जवाब मिला:, कि “एंबुलेंस दो घंटे में पहुँचेगी।” हादसे में घायल युवकों की तब तक साँसें उखड़ रही थीं। आखिरकार निजी गाड़ी से दोनों को बद्दी के एक निजी अस्पताल पहुँचाया गया, जहाँ दोनों की सर्जरी हुई। डॉक्टरों ने कहा, कुछ और देर हो जाती तो जान भी जा सकती थी।”
उधर, आपकी आवाज पट्टा महलोग संस्था के अध्यक्ष राजकुमार शर्मा ने प्रेस को बताया कि “स्वास्थ्य मंत्रीजी, आपका गृह जिला सोलन है, फिर भी CHC पटटा महलोग में स्वास्थ्य सेवाएँ राम भरोसे हैं। एक डॉक्टर था, उसे भी डेपुटेशन पर भेज दिया। 108 कहती है दो घंटे लगेंगे, क्या पहाड़ों में जिंदगी इतनी सस्ती है? प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने वादे किए थे, लेकिन हकीकत में पहाड़ी लोग मरने को छोड़ दिए गए हैं।”
राजकुमार शर्मा ने कहा, “हमने कई बार दून विधायक और प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। यदि सरकार ने अब भी कार्रवाई नहीं की तो हम अस्पताल के लिए बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हालात नहीं सुथरे तो आगामी चुनावों में क्षेत्र के लोग उन नेताओं का वोट से बहिष्कार करेंगे जो उनकी समस्याओं पर चुप्पी साधे बैठे हैं। ”











