Himachal News: हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील योजना के तहत बच्चों को सब्जी के नाम पर केवल आलू परोसे जाने पर अब सख्त कार्रवाई की जाएगी। राज्य खाद्य आयोग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए स्पष्ट किया है कि मिड-डे मील का उद्देश्य केवल बच्चों को पेट भरने के लिए खाना देना नहीं है, बल्कि उनका पोषण स्तर सुधारने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है।
राष्ट्रीय समाचार पत्र दैनिक जागरण कि एक खबर के मुताबिक राज्य खाद्य आयोग को यह जानकारी मिली है कि कई स्कूलों में बच्चों को बार-बार आलू के रूप में ही सब्जी परोसी जा रही है, जिसके कारण बच्चों को पोषक तत्वों की कमी हो रही है और उनके आहार में स्टार्च की मात्रा ज्यादा हो रही है।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक के करीब 4.5 लाख बच्चों को रोजाना मिड-डे मील परोसा जाता है। मानकों के अनुसार, बच्चों को प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर भोजन दिया जाना चाहिए। इस योजना के तहत हरी सब्जियों, दालों, दूध और अन्य प्रोटीन स्रोतों को भोजन में शामिल करने के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
राज्य खाद्य आयोग को कुपोषण के चिंताजनक आंकड़ों ने भी गंभीर स्थिति का आभास दिलाया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, प्रदेश में पांच वर्ष से कम आयु के 28.4 प्रतिशत बच्चे बौने , 11 प्रतिशत दुर्बल (wasted) और 25.5 प्रतिशत कम वजन की श्रेणी में हैं। यह दर्शाता है कि हर चौथा बच्चा उम्र के हिसाब से कम वजन का है।
राज्य खाद्य आयोग ने एक और अहम कदम उठाने का निर्णय लिया है। आयोग अब दिल्ली में अगले महीने होने वाली बैठक में केंद्र सरकार से मांग करेगा कि स्कूलों में छुट्टियों के दौरान भी बच्चों को मिड-डे मील का राशन दिया जाए। आयोग का मानना है कि छुट्टियों में कई बच्चों को घर पर पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता, इसलिए उन्हें मिड-डे मील का राशन देने से उनकी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि आलू और चावल स्टार्च से भरपूर होते हैं, जो बच्चों को ऊर्जा तो प्रदान करते हैं, लेकिन शरीर के विकास के लिए आवश्यक प्रोटीन, आयरन, विटामिन-A और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी रहती है। इस कारण बच्चों की शारीरिक और मानसिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक डा. एसपी कत्याल, अध्यक्ष राज्य खाद्य आयोग ने कहा, “बच्चों को संपूर्ण पोषण देना सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है। अगर मिड-डे मील में आलू को सब्जी मानकर परोसा गया, तो हम कार्रवाई करेंगे।”











