US Fed Rate Cut: अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने एक बार फिर ब्याज दरों में कटौती का फैसला लिया है। 29 अक्टूबर 2025 को हुई बैठक में 0.25 फीसदी (25 बेसिस पॉइंट) की कमी की गई, जिससे अब दरें 3.75% से 4% के दायरे में आ गई हैं। यह लगातार दूसरी कटौती है, पहली सितंबर में हुई थी। दिसंबर 2024 से दरें स्थिर चल रही थीं।
इससे अमेरिका में लोन लेना थोड़ा आसान और सस्ता हो जाएगा। फेड का मकसद है कि कंपनियाँ सस्ते कर्ज से निवेश बढ़ाएँ, नौकरियाँ पैदा हों और अर्थव्यवस्था को गति मिले। साथ ही 1 दिसंबर से क्वांटिटेटिव टाइटनिंग प्रोग्राम भी खत्म हो जाएगा, यानी बाजार में ज्यादा पैसा आएगा।
फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने साफ किया, “दिसंबर में रेट कट तय नहीं है। हम डेटा देखकर ही फैसला करेंगे।” FOMC के 12 में से 10 सदस्यों ने इस कटौती को हरी झंडी दी। एक ने 50 पॉइंट की मांग की, तो एक ने दरें वैसे ही रखने की बात कही।
अमेरिका को क्यों पड़ी कटौती की जरूरत?
– अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी है।
– नई नौकरियाँ कम बन रही हैं।
– बेरोजगारी में हल्की बढ़ोतरी हुई है।
– महंगाई अभी भी ऊपर है—सितंबर में CPI 3% रही, जो अगस्त में 2.9% थी।
पॉवेल ने माना कि ट्रंप की इम्पोर्ट टैरिफ पॉलिसी से विदेशी सामान महंगा हुआ, जिससे महंगाई बढ़ी। साथ ही इमिग्रेशन कम होने और लेबर फोर्स में भागीदारी घटने से नौकरियों की सप्लाई घटी है।
भारत पर क्या पड़ेगा असर?
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में सस्ता कर्ज होने से निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों की ओर आएंगे। IT, फार्मा और एक्सपोर्ट कंपनियों को फायदा हो सकता है। लेकिन शुरुआती बाजार रिएक्शन में GIFT Nifty 90 अंक गिरकर 26,166 पर पहुँचा, जिससे भारतीय शेयर बाजार में कमजोर शुरुआत के संकेत हैं।
फेड का लक्ष्य अभी भी वही है, महंगाई को 2% तक लाना और नौकरियाँ बनाए रखना। आगे का रास्ता डेटा पर निर्भर करेगा। दिसंबर की बैठक अब और अहम हो गई है।











