Health Insurance Premiums Steady: देशभर में स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी धारकों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर है। केंद्र सरकार ने बीमा कंपनियों और प्रमुख अस्पताल श्रृंखलाओं के बीच मरीजों के इलाज के खर्चे को लेकर हुई बढ़ोतरी को रोकने में अहम भूमिका निभाई है। सूचना के अनुसार, वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने हस्तक्षेप करके बड़े अस्पताल समूहों को वर्ष 2026 के दौरान अपने इलाज के चार्ज में कोई वृद्धि नहीं करने के लिए राजी किया है।
इसका सीधा सा मतलब है कि अगले साल अस्पतालों के इलाज के खर्चे स्थिर रहेंगे, जिसके चलते आम लोगों के स्वास्थ्य बीमा की प्रीमियम राशि पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और इसे स्थिर रखने में मदद मिलेगी।
बता दें कि इलाज के दरों में संशोधन को लेकर अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच कई महीनों से गतिरोध चल रहा था। अस्पतालों का तर्क था कि दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और कर्मचारियों के वेतन की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है, इसलिए दरों में बढ़ोतरी जरूरी है। वहीं, बीमा कंपनियों को चिंता थी कि अस्पतालों के चार्ज में लगातार होने वाली यह बढ़ोतरी उन्हें प्रीमियम दरें बढ़ाने पर मजबूर कर देगी, जिसका सीधा असर ग्राहकों पर पड़ेगा।
इस गतिरोध को तोड़ने के लिए डीएफएस के अधिकारियों ने दोनों पक्षों के साथ कई बैठकें कीं और अंततः उनके बीच सहमति बनवाने में सफलता हासिल की। इस समझौते के तहत वर्ष 2026 के अंत तक अस्पतालों के इलाज के दरों को यथावत रखने पर सहमति बनी है। भविष्य में किसी भी तरह के संशोधन केवल आपसी सहमति के बाद ही किए जाएंगे।
प्रीमियम पर क्या होगा असर?
उल्लेखनीय है कि जब अस्पतालों के चार्ज स्थिर रहेंगे, तो बीमा कंपनियों के पास प्रीमियम बढ़ाने का कोई खास कारण नहीं रह जाएगा। इसका मतलब यह है कि अगले साल स्वास्थ्य बीमा धारकों को अपनी प्रीमियम राशि बढ़ी हुई नहीं दिख सकती है। पिछले दो वर्षों में कोविड के बाद के मेडिकल इन्फ्लेशन के चलते स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में लगभग 15 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।
इस फैसले के बाद आम बीमाधारकों के लिए यह दोहरी बचत का मामला है, क्योंकि सरकार ने पहले ही स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी को हटा दिया है। स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा दोनों पर कर की दर शून्य कर दी गई है।
इन दोनों उपायों – अस्पताल के खर्चों और बीमा प्रीमियम के स्थिर रहने – से आम आदमी को काफी आर्थिक राहत मिलने की उम्मीद है। साथ ही, इससे बीमा कंपनियों और ग्राहकों के बीच का विश्वास भी बहाल होगा, क्योंकि कई ग्राहक बिना क्लेम किए ही प्रीमियम में होने वाली तेज बढ़ोतरी की शिकायत करते रहे हैं।












