शिमला ब्यूरो|
हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार फिर कर्ज लेगी। इस वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार करीब 2 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। बता दें, 3 महीने में ये दूसरी बार है, जब हिमाचल सरकार कर्ज लेने को मजबूर हुई है। इससे पहले सरकार ने जनवरी में 1500 करोड़ का कर्ज लिया था। इस कर्ज के लेने से हिमाचल पर कर्ज की राशि 78 हजार करोड़ पहुंच जाएगी, लेकिन कर्मचारियों की देनदारी सरकार के पास बकाया है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सरकार को अपने कई वादे पूरे करने हैं, जिसके लिए पैसे की जरूरत है।
हिमाचल सरकार दो किस्तों में लेगी। इसमें से 1300 करोड़ 15 साल के लिए लिया जाएगा, जबकि दूसरा 700 करोड़ का कर्ज 9 साल के लिए लिया जाएगा। इसके लिए RBI के माध्यम से नीलामी प्रक्रिया 21 फरवरी को होगी और 22 फरवरी को यह राशि प्रदेश सरकार के खाते में जमा हो जाएगी।
हालांकि पहले राज्य सरकार राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत उधार ले सकती थी, लेकिन सुक्खू सरकार ने इसकी सीमा बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दी है। इसके लिए सरकार ने हाल ही में शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश किया था। जबकि इस वित्तीय वर्ष में कर्ज 11500 करोड़ और हिमाचल पर कर्ज बढ़कर 78 हजार करोड़ हो जाएगा।
वहीं, मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मामले पर कहा कि पूर्व सरकार ने उन पर करीब 75 हजार करोड़ का कर्ज छोड़ा है। इसके अलावा भाजपा सरकार ने करीब 11 हजार करोड़ की कर्मचारियों की देनदारियां उन पर छोड़ी हैं। ऐसे में जाहिर है कि खर्चे अधिक होने के चलते राज्य सरकार को लोन लेना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय ही कि सत्ता परिवर्तन के बाद भी हिमाचल प्रदेश पर ऋणों का बोझ और बढ़ने वाला है और प्रदेश का खजाना खाली है। वर्तमान सरकार पहले 1500 करोड़ रुपए और अब दूसरी बार 2000 करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है। इसी के साथ अब हिमाचल 78500 करोड़ रुपए के कर्ज के नीचे दब चुका है। इस बार प्रदेश सरकार कर्ज लेने की अधिकतम सीमा को पार कर गई थी। नतीजतन सरकार की तरफ से विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कर्ज की सीमा को बढ़ाए जाने के लिए संशोधन लाया गया था।











