Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन वर्षों के दौरान दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से बड़ी कार्रवाई की गई है। प्रदेश विधानसभा में एक लिखित जवाब में सरकार ने बताया कि तीन साल की अवधि में कुल 12,034 दवा नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 168 नमूने निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरे। यह जानकारी भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार के एक प्रश्न के जवाब में सदन में पेश की गई।
सरकार ने स्पष्ट किया कि दवाओं की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी जारी है और जिन उद्योगों की दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरीं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जिन उद्योग इकाइयों के नमूने फेल पाए गए, उनमें से 40 मामलों में कानूनी कार्रवाई की गई है। वहीं, 52 मामलों में दवा एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 के तहत प्रशासनिक कार्रवाई अमल में लाई गई है। इसके अलावा, 65 मामले अभी भी जांच के विभिन्न चरणों में लंबित हैं।
सरकार ने यह भी बताया कि 11 मामलों में विनिर्माण इकाइयों ने जांच रिपोर्ट को चुनौती दी थी। इनमें से अब तक 7 नमूने पुनर्जांच में मानकों के अनुरूप पाए गए हैं, जबकि 9 मामलों की रिपोर्टें केंद्रीय दवा प्रयोगशाला, कोलकाता से अभी प्राप्त होनी बाकी हैं।
बद्दी स्थित प्रयोगशाला को मिला NABL प्रमाणन
राज्य सरकार ने यह जानकारी भी साझा की कि दवाओं की गुणवत्ता जांच के लिए बद्दी में स्थापित राज्य स्तरीय दवा परीक्षण प्रयोगशाला 8 जनवरी, 2025 से पूरी तरह कार्यशील है। इस प्रयोगशाला में प्रतिवर्ष लगभग 6,000 दवा नमूनों के विश्लेषण की क्षमता है। एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, बद्दी स्थित इस प्रयोगशाला को 12 नवंबर को नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (NABL) की मान्यता प्राप्त हो गई है, जो इसकी तकनीकी क्षमता और विश्वसनीयता को प्रमाणित करता है। इसके अतिरिक्त, सोलन जिले के कंडाघाट में एक संयुक्त परीक्षण प्रयोगशाला भी संचालित है, जहां खाद्य पदार्थों के साथ-साथ दवाओं की गुणवत्ता की भी जांच की जाती है।












