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Pekhubela Solar Project Controversy: पेखूबेला सोलर प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के आरोप पर विधानसभा में हंगामा, सीएम सुक्खू ने दी ईडी जांच की चुनौती

Pekhubela Solar Project Controversy: पेखूबेला सोलर प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के आरोप पर विधानसभा में हंगामा, सीएम सुक्खू ने दी ईडी जांच की चुनौती

Pekhubela Solar Project Controversy:  हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पेखूबेला सोलर प्रोजेक्ट को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी हुई। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर के भ्रष्टाचार के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर कोई गड़बड़ी है तो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच करवाएं।

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “भाजपा को पेखूबेला का फोबिया हो गया है। अगर आपके पास सबूत हैं, तो सदन में रखें।” सुक्खू ने बताया कि भारी बारिश के कारण प्रोजेक्ट में पानी भर गया, जिससे उत्पादन रुका, लेकिन 15 सितंबर से इसे फिर शुरू कर दिया जाएगा।

बता दें कि भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर ने नियम 63 के तहत पेखूबेला हरित क्रांति सिंचाई सुविधा का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार पर टेंडर में धांधली और कंपनी को अनुचित लाभ देने का आरोप लगाया। ठाकुर ने दावा किया कि प्रोजेक्ट गलत जगह स्थापित किया गया और भारी बारिश में पानी भरने से बंद हो गया।

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उन्होंने कहा, “जिस कंपनी को प्रोजेक्ट मिला, उसे ऑपरेशन और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भी थी, लेकिन वह काम छोड़कर भाग गई। फिर भी, उसे 99% भुगतान कर दिया गया और घटिया काम के बावजूद कोई जुर्माना नहीं लगा।”

इस पर मुख्यमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि कंपनी के 44 करोड़ रुपये रोक दिए गए हैं और प्रोजेक्ट की देखरेख अब पावर कॉरपोरेशन करेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पावर कॉरपोरेशन के मुख्य अभियंता विमल नेगी की मौत की जांच सीबीआई कर रही है और सच जल्द सामने आएगा।

वहीँ ठाकुर ने रेगुलेटरी कमीशन के लिए प्रस्तावित तीन नामों पर भी सवाल उठाए, लेकिन उन्हें खुलकर बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “ये नाम ठीक नहीं हैं, मैं इन्हें सदन में नहीं, आपके कमरे में बताऊंगा।”

क्या है पेखूबेला सोलर प्रोजेक्ट विवाद (Pekhubela Solar Project Controversy)

दरअसल, ऊना जिला में करोड़ों रुपये की लागत से बने पेखुवाला हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में अनियमितताओं और ठेकेदार कंपनी की कार्यप्रणाली पर पूर्व उद्योग मंत्री और विधायक बिक्रम ठाकुर ने सवाल उठाए हैं। बिक्रम ठाकुर ने कहना है कि , “इतने महंगे प्रोजेक्ट का प्राकृतिक आपदा में डूबना लापरवाही के साथ तकनीकी कुप्रबंधन का परिणाम है।

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जिस कंपनी को निर्माण कार्य सौंपा गया था, उसे आठ माह तक प्लांट की मरम्मत करने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन इस शर्त की पूरी तरह अनदेखी की गई। प्लांट से 32 मेगावाट बिजली उत्पादन होना था. जो आजकल ठप पड़ा हुआ है। यह दर्शाता है कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता से समझौता हुआ है। ” उन्होंने आगे कहा, “इस प्रोजेक्ट में भारी भ्रष्टाचार हुआ, जिसकी कीमत विमल नेगी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। आरोपी अफसरों को सरकार ने फिर ऊंचे ओहदों पर बिठा दिया।

उनके आरोप यह भी है कि जब प्रोजेक्ट अधूरा था तो ठेकेदार को 99 प्रतिशत भुगतान किस आधार पर कर दिया गया। उन्होंने ये भी आरोप लगाया है कि , “प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 100 करोड़ रुपये थी, लेकिन यह बढ़कर 240 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इसके पीछे किसकी भूमिका रही, इसकी निष्पक्ष एजेंसी से जांच होनी चाहिए। जबकि गुजरात में इसी तरह का प्लांट 70 करोड़ रुपये में बन गया तो हिमाचल में लागत तीन गुना क्यों बढ़ी?

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