Himachal News: धर्मशाला, 28 नवंबर। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन शुक्रवार को सदन के भीतर और बाहर राजनीतिक तनाव चरम पर देखा गया। विपक्षी भाजपा और सत्तारूढ़ कांग्रेस दोनों ने ही विधानसभा परिसर में अलग-अलग मुद्दों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किए। दरअसल, शुक्रवार सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही विधानसभा के मुख्य गेट पर दोनों दल आमने-सामने आ गए।
भाजपा विधायकों ने हाथों में तख्तियां लेकर सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को ‘कर्मचारी विरोधी’ करार देते हुए नारेबाजी की। उन्होंने पूर्व कर्मचारियों को ग्रेच्युटी शीघ्र जारी करने, पेंशन का समय पर भुगतान और मेडिकल बिलों के भुगतान की मांग को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सहित भाजपा के सभी विधायक मौजूद रहे।
वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस विधायकों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीते सितंबर में घोषित 1500 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की राशि अभी तक जारी नहीं की गई है। कांग्रेस विधायकों ने मोदी सरकार पर हिमाचल के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया।
सदन की कार्यवाही के दौरान भी तनाव का माहौल बना रहा। प्रश्नकाल की शुरुआत में ही भाजपा विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत अपनी बात रखने का समय मांगा, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल जारी रखा। इस पर विपक्ष के सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। शोर-शराबे के बीच कई विधायक वेल में आ गए। हंगामा इतना बढ़ गया कि अध्यक्ष को 10 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सदन के बाहर मीडिया से बातचीत में राजस्व मंत्री के एक बयान पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “आरएसएस के खिलाफ राजस्व मंत्री द्वारा गलत शब्दों का प्रयोग निंदनीय है। उन्हें माफी मांगनी चाहिए।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सुबह सदन के बाहर हुए प्रदर्शन के दौरान राजस्व मंत्री ने विपक्ष के प्रदर्शन में व्यवधान डालने की कोशिश की, जिससे कानून-व्यवस्था बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया था।











