Himachal High Court Decision: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेश पॉलिटेक्निक शिक्षक कल्याण संघ और अन्य की उस याचिका को खारिज कर दिया। जिस याचिका में शिक्षकों ने पंजाब के अपने समकक्ष शिक्षकों के समान वेतनमान की मांग की थी।
कोर्ट ने फैसला सुनाया कि भले ही हिमाचल प्रदेश पंजाब वेतन आयोग को अपनाता हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसे पंजाब के वेतन ढांचे को पूरी तरह लागू करना होगा।
कोर्ट ने कहा कि वेतनमान तय करना विशेषज्ञों का काम है, जो कई जरूरी पहलुओं पर विचार करने के बाद फैसला लेते हैं। कोर्ट ने मंत्रिपरिषद के उस फैसले में कोई खामी नहीं पाई, जिसमें कहा गया था कि पंजाब के समान वेतन देने से वित्तीय बोझ बढ़ेगा और भविष्य में पदानुक्रम में असंतुलन पैदा होगा।
जस्टिस सत्येन वैद्य ने कहा, “यह तथ्य कि हिमाचल प्रदेश पंजाब के वेतन पैटर्न को अपनाता है, इसका मतलब यह नहीं कि उसे हर उद्देश्य के लिए इसे पूरी तरह लागू करना होगा।”
क्या है मामला
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश पॉलिटेक्निक शिक्षक कल्याण संघ ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि उनके सदस्यों को पंजाब में लागू चार-स्तरीय वेतनमान दिया जाए। 1 जनवरी 2006 को हिमाचल प्रदेश ने पंजाब के वेतन पैटर्न के आधार पर हिमाचल प्रदेश सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 2009 को अधिसूचित किया था।
पंजाब ने अपने तकनीकी शिक्षा विभाग के लेक्चररों को डायनामिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम का लाभ दिया और उन्हें पंजाब सिविल सेवा (डायनामिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन) नियम, 2011 में शामिल किया।याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि चूंकि हिमाचल प्रदेश पंजाब के पैटर्न को अपनाता है, इसलिए सरकारी पॉलिटेक्निक के शिक्षकों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए।
लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी दलील को खारिज करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश को पंजाब के वेतन ढांचे को पूरी तरह लागू करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। जस्टिस सत्येन वैद्य ने कहा, “यह तथ्य कि हिमाचल प्रदेश पंजाब के वेतन पैटर्न को अपनाता है, इसका मतलब यह नहीं कि उसे हर उद्देश्य के लिए इसे पूरी तरह लागू करना होगा।”
केस टाईटल : हिमाचल प्रदेश पॉलिटेक्निक शिक्षक कल्याण संघ और अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार और अन्य
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