Himachal Panchayat Election Controversy: हिमाचल में पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश कि सियासत गरमाई हुई है। जहाँ सुक्खू सरकार पंचायत चुनाव समय पर करवाने की बात कर रही है, वहीँ विपक्षी दल भाजपा सत्ता सीन कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगा रही है कि सरकार हार के डर से पंचायत चुनाव से भाग रही है। नेता विपक्ष एवं पूर्व सीएम जयराम ठाकुर इस बात को लेकर लगातार सरकार पर हमलावर है।
पंचायतों के रीऑर्गेनाइजेशन के आदेश के बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से पूछा है कि सभी मंत्री और मुख्यमंत्री कहते हैं कि पंचायत चुनाव अपने समय पर होंगे। आज सरकार द्वारा पंचायतों के लिए आर्गेनाइजेशन के लिए पत्र जारी किया गया है। पंचायतों के लिए रीआर्गेनाइजेशन के बाद लोगों के दावों के निपटान होंगे।
उन्होंने कहा कि इलेक्शन कमीशन द्वारा 1 साल पहले की पंचायतों के रीऑर्गेनाइजेशन के लिए लिखा जा चुका था ऐसे में यह देरी सरकार के मंशा पर सवाल उठाती है। आरक्षण रोस्टर अभी भी आया नहीं है जो की माननीय उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार 90 दिन पहले ही जारी करना पड़ता है। ऐसे में मुख्यमंत्री बताएं कि क्या पंचायत चुनाव समय पर होंगे या वह हर बार की तरह पंचायत चुनाव को लेकर भी झूठ बोल रहे हैं?
दरअसल राज्य निर्वाचन आयोग हिमाचल प्रदेश की और से जारी अधिसूचना में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव जो दिसंबर 2025 या जनवरी 2026 में होने अपेक्षित है, उन्हें सुचारू और सफलता पूर्वक आयोजित करने हेतु हिमाचल प्रदेश के सभी जिला के उपायुक्तों को लिखित में सूचित किया गया है कि असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर, बूथ प्रजाइडिंग ऑफिसर्स के लिए मानव शक्ति की सूचियां तैयार करें और जिला परिषद तथा पंचायत समिति सदस्य के वोटों की गिनती हेतु इमारतें चिन्हित करने की व्यवस्था करें। इससे जाहिर होता है कि पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव दिसंबर या जनवरी में ही होंगे।
उल्लेखनीय है कि जनवरी 2025 में पंचायती राज विभाग ने नई पंचायतों के लिए आवेदन आमंत्रित किए। पूरे प्रदेश से 600 से अधिक प्रस्ताव प्राप्त हुए, और प्रक्रिया जारी थी। लेकिन सुक्खू सरकार के कैबिनेट में इनकी चर्चा की योजना थी। लेकिन जुलाई 2025 तक इन प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया गया।
सरकार का तर्क था कि पुनर्गठन से दावे-आपत्तियां सुलझाने में समय लगेगा, जो चुनाव को प्रभावित कर सकता है। इसके बजाय मौजूदा पंचायतों पर ही चुनाव कराए जाएंगे। हालांकि पुनर्गठन पर इनकार के बावजूद, चुनाव की समय-सारिणी पर असर पड़ा है। विपक्षी दल भाजपा ने इसे हार के डर से चुनाव टालने की साजिश बताया, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे खारिज किया।











