Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Himachal: हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को जन्म पंजीकरण का अधिकार..!

HP News: Himachal Bhawan Delhi:, Himachal News, CPS Appointment Case, Himachal HIGH COURT, Himachal High Court Himachal High Court Decision Shimla News: HP High Court Himachal News Himachal Pradesh High Court

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के जन्म पंजीकरण को लेकर एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया कि अमान्य विवाह से जन्मे बच्चों को जन्म पंजीकरण से वंचित नहीं किया जा सकता, और उनके कानूनी अधिकारों को किसी भी परिस्थिति में नकारा नहीं जा सकता।

कोर्ट ने इस फैसले में बच्चों के अधिकारों को प्राथमिकता दी और कहा कि उनकी वैधता और कानूनी मान्यता किसी भी परिस्थिति में प्रभावित नहीं होनी चाहिए, चाहे उनके माता-पिता का विवाह कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त हो या नहीं। इस मामले की सुनवाई जस्टिस ज्योत्सना रेवल दुआ (Justice Jyotsna Revel Dua) की अदालत में हुई।

जस्टिस ज्योत्सना रेवल दुआ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, “यह तथ्य कि बच्चे जीवित हैं और मौजूद हैं, उन्हें कानून में मान्यता दिए जाने की आवश्यकता है।” उन्होंने आगे कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16 के तहत, अमान्य विवाह से जन्मे बच्चों की वैधता की रक्षा की जाती है, और इस कानून के तहत इन बच्चों को वैध माना जाता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि विवाह की अमान्यता, विवाह से जन्मे बच्चों के अधिकारों या कानूनी स्थिति को प्रभावित नहीं करती।

इसे भी पढ़ें:  शिमला की पुरानी रौनक पर संकट, गाड़ियों और कूड़े ने रोकी राह, Himachal Pradesh High Court ने लिया कड़ा संज्ञान लेते हुए मांगी रिपोर्ट

उल्लेखनीय है कि यह फैसला तीन नाबालिग बच्चों की ओर से दायर की गई याचिका के जवाब में आया, जिसमें बच्चों ने अपनी जन्म पंजीकरण और परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज करने की मांग की थी। पंचायत ने इन बच्चों को पंजीकरण से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि उनके माता-पिता का विवाह अमान्य था, क्योंकि विवाह के समय एक पक्ष का जीवनसाथी जीवित था।

हालांकि, जस्टिस ज्योत्सना रेवल दुआने पंचायत के तर्कों को नकारते हुए कहा कि विशेष विवाह अधिनियम की धारा 4(ए) केवल विवाह के अनुष्ठान पर लागू होती है, और अमान्य विवाह से जन्मे बच्चों की कानूनी स्थिति पर इसका कोई असर नहीं होता। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश पंचायती राज सामान्य नियम के तहत, पंचायत को बच्चों के जन्म पंजीकरण के लिए बाध्य किया गया है, चाहे उनके माता-पिता की वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो।

इसे भी पढ़ें:  मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी की सजा पर रोक के निर्णय का किया स्वागत

इस फैसले को समर्थन देने के लिए, जस्टिस ज्योत्सना रेवल दुआ ने सुप्रीम कोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों का हवाला दिया। इनमें भारत संघ बनाम वी.आर. त्रिपाठी और रेवनसिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन के मामले शामिल थे, जिनमें यह स्पष्ट किया गया था कि अमान्य विवाह से जन्मे बच्चों के पास कानूनी अधिकार होते हैं और उन्हें वैध माना जाता है।

हाईकोर्ट ने पंचायत को आदेश दिया कि वे पांच सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं के नाम जन्म और परिवार रजिस्टर में दर्ज करें। इस फैसले से यह साबित होता है कि बच्चों के पंजीकरण का अधिकार उनके माता-पिता की वैवाहिक स्थिति से स्वतंत्र है और यह कानूनी जनादेश के अनुरूप है, जो उनके कल्याण को बढ़ावा देता है और उन्हें कानूनी पहचान और सामाजिक मान्यता प्रदान करता है।

इसे भी पढ़ें:  दीक्षासभा में बड़ा खुलासा, IIT Mandi के ड्रोन ने ऑपरेशन सिंदूर में निभाया अहम योगदान..

केस टाइटल:: नव्या और अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य और अन्य

प्रजासत्ता न्यूज़ एक प्रमुख हिंदी समाचार प्लेटफ़ॉर्म है, जो देश और दुनिया की ताजातरीन घटनाओं, राजनीति, समाज, खेल, मनोरंजन, और आर्थिक खबरों को सटीक और निष्पक्ष तरीके से प्रस्तुत करता है। हमारी टीम का उद्देश्य सत्य, पारदर्शिता और त्वरित समाचार वितरण के जरिए पाठकों तक महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है। हम अपने कंटेंट के माध्यम से समाज की जागरूकता बढ़ाने और एक सूचित नागरिक समाज बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारी न्यूज़ टीम हमेशा विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी एकत्रित करती है और उसे सरल, सटीक और दिलचस्प तरीके से प्रस्तुत करती है।

Join WhatsApp

Join Now