Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

MV Act: हिमाचल हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, गाड़ी बिकने के बाद भी पंजीकृत मालिक ही जिम्मेदार, जब तक नाम न बदले

Himachal Pradesh High Court , Himachal High Court , Himachal High Court Decision, MV Act

MV Act: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 50 के तहत गाड़ी का मालिकाना हक पूरी तरह ट्रांसफर होने तक, दुर्घटना की स्थिति में पंजीकृत मालिक ही कानूनी रूप से जिम्मेदार रहेगा। भले ही गाड़ी बेचने का समझौता हो चुका हो। जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर ने यह फैसला सुनाते हुए साफ किया कि अगर पंजीकरण नए मालिक के नाम पर नहीं हुआ, तो पुराना मालिक ही हादसे का जिम्मेदार माना जाएगा।

यह मामला 2016 का है, जब घनश्याम, उनकी पत्नी नीतू देवी और उषा एक कार में ड्राइवर ज्ञान चंद के साथ सफर कर रहे थे। ड्राइवर के गाड़ी पर नियंत्रण खोने की वजह से हादसा हुआ, जिसमें तीनों यात्रियों की मौके पर मौत हो गई। मृतकों के परिवार ने मुआवजे के लिए मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल (MACT) में दो याचिकाएं दायर कीं। लेकिन ट्रिब्यूनल ने याचिकाएं खारिज कर दीं, क्योंकि परिवार ड्राइवर की लापरवाही या तेज रफ्तार साबित नहीं कर पाया। नाराज परिवार ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की।

इसे भी पढ़ें:  Himachal News: हिमाचल विधानसभा में हंगामा: भाजपा ने लगाया घोटालों का आरोप, CM सुक्खू ने मांगे सबूत"

हाई कोर्ट ने मामले कि सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल के फैसले को गलत बताया। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने सबूतों को ठीक से नहीं देखा। एक गवाह के बयान से साफ था कि हादसा ड्राइवर की तेज रफ्तार और लापरवाही की वजह से हुआ। कोर्ट ने कहा कि यह मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 279 (तेज गाड़ी चलाना), 337 (लापरवाही से चोट पहुंचाना) और 304A (लापरवाही से मौत का कारण बनना) के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।

पंजीकृत मालिक बॉबी चौहान ने दावा किया कि उन्होंने हादसे से पहले कार ज्ञान चंद को बेच दी थी। लेकिन कोर्ट ने इस दलील को नामंजूर कर दिया। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 50 के अनुसार, गाड़ी बेचने वाला 14 दिन में और खरीदने वाला 30 दिन में पंजीकरण प्राधिकरण को सूचना देता है। इस मामले में 30 दिन पूरे होने से पहले हादसा हो गया, इसलिए मालिकाना हक ट्रांसफर नहीं हुआ था। इस कारण बॉबी चौहान ही कानूनी रूप से जिम्मेदार हैं।

इसे भी पढ़ें:  Himachal News: पठानकोट से बच्चे की किडनैपिंग में हिमाचल का युवक मास्टरमाइंड, मांगी थी दो करोड़फिरोती..

हाई कोर्ट ने पीड़ित परिवार की दोनों अपीलों को स्वीकार करते हुए ट्रिब्यूनल का फैसला रद्द कर दिया। कोर्ट ने मुआवजे का रास्ता खोलते हुए कहा कि पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा मिलना चाहिए। यह फैसला गाड़ी मालिकों को सावधान करता है कि जब तक पंजीकरण नए मालिक के नाम पर नहीं होता, तब तक वे हर तरह की जिम्मेदारी के लिए जवाबदेह रहेंगे।

हाई कोर्ट ने पीड़ित परिवार की दोनों अपीलों को स्वीकार करते हुए ट्रिब्यूनल का फैसला रद्द कर दिया। कोर्ट ने मुआवजे का रास्ता खोलते हुए कहा कि पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा मिलना चाहिए। यह फैसला गाड़ी मालिकों को सावधान करता है कि जब तक पंजीकरण नए मालिक के नाम पर नहीं होता, तब तक वे हर तरह की जिम्मेदारी के लिए जवाबदेह रहेंगे।

इसे भी पढ़ें:  मुख्यमंत्री ने जिला ऊना में खनन पड़ताल चैकियों का वर्चुअल माध्यम से किया लोकार्पण
संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now