Himachal News: केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश में यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को लागू करने के लिए राज्य सरकार को दूसरी बार पत्र भेजा है। इसके साथ ही, कर्ज की सीमा 1600 करोड़ तक बढ़ाने की भी बात की है। हालांकि, कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर और महासचिव भरत शर्मा ने इसे केवल प्रलोभन बताया है। उनका मानना है कि यूपीएस पुरानी पेंशन योजना का विकल्प नहीं हो सकता है।
प्रदीप ठाकुर का कहना है कि कर्ज की सीमा बढ़ने से न तो कर्मचारियों को और न ही सरकार को कोई फायदा होगा। एनपीएस में सरकार को 14 प्रतिशत योगदान देना पड़ता था, जबकि यूपीएस में यह योगदान 18 प्रतिशत होगा। साथ ही, कर्मचारियों को हर महीने 10 प्रतिशत हिस्सा यूपीएस में जमा करना होगा। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इस बारे में कैबिनेट में चर्चा के बाद निर्णय लेने की बात की है, लेकिन कर्मचारियों का मानना है कि इस योजना में कई खामियां हैं।
कर्मचारी महासंघ ने इस योजना के विरोध में आवाज उठाई है और मुख्यमंत्री तथा कैबिनेट मंत्रियों से अपील की है कि यूपीएस को हिमाचल प्रदेश में लागू न किया जाए। अगर इस पर कोई भी निर्णय कर्मचारियों के खिलाफ लिया गया, तो प्रदेश के सभी कर्मचारी इसका विरोध करेंगे।


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