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Scholarship Scam: सवालों के घेरे में हिमाचल की “मेरे शहर के 100 रत्न” योजना.. भ्रष्टाचार, भ्रम और खामियों का पिटारा…?

Scholarship Scam: सवालों के घेरे में हिमाचल की "मेरे शहर के 100 रत्न" योजना.. क्या भ्रष्टाचार, भ्रम और खामियों का पिटारा...?

Scholarship Scam: हिमाचल प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी ‘मेरे शहर के 100 रत्न’ स्कॉलरशिप योजना, जिसका उद्देश्य प्रदेश के मेधावी छात्रों को प्रोत्साहन देना था, अब सवालों के घेरे में है। दिल्ली की क्रैक एकेडमी के सहयोग से इस योजना के तहत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से 100 बच्चों का चयन किया जाना है। जिसके लिए कुल 6,800 स्कॉलरशिप प्रदान की जाएंगी।

लेकिन इसकी चयन प्रक्रिया, पेपर मानकों और कोचिंग फ्रेंचाइजी के चयन में कई खामियां सामने आ रही हैं, जिससे भ्रष्टाचार की आशंका गहरा रही है। प्रदेश सरकार ने मेरे शहर के 100 रत्न’ योजना, जो हिमाचल के मेधावी बच्चों को प्रोत्साहन देने का वादा करती है, अब भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और अस्पष्टता के आरोपों में घिरती हुई नजर आ रही है।

Scholarship Scam: एक ही पेपर, अलग-अलग कक्षाओं के लिए: कैसे संभव?

दरअसल, कुछ अभिभावकों और जानकारों के अनुसार इस योजना के तहत कक्षा 6 से 12 तक के बच्चों का चयन एक ही प्रश्नपत्र के आधार पर किया जा रहा है। विशेषज्ञों और अभिभावकों का कहना है कि यह व्यवस्था पूरी तरह अव्यवहारिक है। क्योंकि कक्षा 6 का छात्र और कक्षा 12 का छात्र, जिनके पाठ्यक्रम और समझ का स्तर बिल्कुल अलग है, एक ही प्रश्नपत्र में कैसे प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं?

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स्कूल के शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, कि “यह हमारी समझ से परे है कि इतने अलग-अलग शैक्षिक स्तरों के बच्चों का मूल्यांकन एक ही पेपर से कैसे हो सकता है। यह न तो निष्पक्ष है और न ही तार्किक।” उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इसके चयन प्रक्रिया को लेकर भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। जिला स्तर के नोडल अधिकारियों को भी यह स्पष्ट नहीं है कि प्रत्येक कक्षा से बच्चे चुने जाएंगे या सभी कक्षाओं को मिलाकर 100 बच्चों का चयन होगा।

Scholarship Scam: कोचिंग फ्रेंचाइजी और भ्रष्टाचार की आशंका

सूत्रों के अनुसार, इस योजना से जुड़ी ‘क्रैक एकेडमी’ ने कुछ महीने पहले ही कोचिंग फ्रेंचाइजी बांटने की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन फ्रेंचाइजी चयन में पारदर्शिता की कमी और संदिग्ध प्रक्रिया ने कई सवाल खड़े किए हैं। यह भी आरोप लग रहा है कि सरकार इस योजना के नाम पर कोचिंग संस्थानों को अलग से फंडिंग कर रही है। कुछ अभिभावक ने सवाल उठाया है कि , “छठी कक्षा के बच्चों को आखिर कोचिंग में क्या पढ़ाया जाएगा? कहीं यह योजना शिक्षा के नाम पर व्यवसाय को बढ़ावा देने का जरिया तो नहीं?”

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संपर्क जानकारी का दुरुपयोग

इसके अलावा योजना के तहत टेस्ट के दौरान बच्चों से उनकी संपर्क जानकारी, जैसे फोन नंबर और ईमेल आईडी, ली जा रही है। कई अभिभावकों को आशंका है कि इस डेटा का दुरुपयोग हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोचिंग संस्थान और निजी कॉलेज इस तरह की जानकारी को खरीद-बेच सकते हैं, जिससे बच्चों और उनके परिवारों की निजता खतरे में पड़ सकती है।

वहीँ इस योजना को लेकर जब क्रैक एकेडमी की अधिकारिक वेबसाइट से लिए गए नंबर 9217070707 पर संपर्क किया गया तो उन्होंने हिमाचल में इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे अपने एक सदस्य का नाम और नंबर दिया। लेकिन जब उस नंबर पर बात की गई तो वह दोनों ही फर्जी पाए गए सामने वाले व्यक्ति ने दोनों से ही कोई संबंध न होने की बात कह दी। इसके बाद एक बार फिर अधिकारिक वेबसाइट पर दिए  गए नंबर 9217070707 कॉल कर जानकारी लेनी चाही तो पहले तो फोन किसी ने उठाया ही नहीं बाद में इस नंबर को स्वीच ऑफ़ कर दिया गया।

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उल्लेखनीय है कि ‘मेरे शहर के 100 रत्न’ योजना, जो हिमाचल के मेधावी बच्चों को प्रोत्साहन देने का वादा करती है, अब भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और अस्पष्टता के आरोपों में घिरती नजर आ रही है। सरकार को चाहिए कि वह चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाए, डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करे और बच्चों के शैक्षिक स्तर के अनुसार उचित मूल्यांकन प्रणाली लागू करे। अन्यथा, यह योजना शिक्षा के नाम पर सिर्फ एक और विवाद बनकर रह जाएगी।
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