Vimal Negi Case: हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPPCL) के मुख्य अभियंता विमल नेगी की रहस्यमयी मौत के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने औपचारिक रूप से मामला दर्ज कर लिया है। इस मामले की गहन जांच के लिए CBI ने एक तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है।
यह कदम हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के 23 मई 2025 के आदेश के बाद उठाया गया, जिसमें विमल नेगी की मौत की जांच को CBI को सौंपने और हिमाचल कैडर के किसी भी अधिकारी को जांच टीम में शामिल न करने का निर्देश दिया गया था।
विमल नेगी मामले में CBI ने दिल्ली में दर्ज किया मामला। भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 और 3(5) के तहत दर्ज किया मामला, DSP CBI बृजेंद्र प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय SIT करेगी मामले की जांच।
जांच के बाद ही मौत के पीछे की असल वजह सबके सामने आएगी। अभी तक तो इस मामले में विपक्ष के सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप और सरकार की तरफ से बचाव दलीलें ही आई है।

क्या है मामला (Vimal Negi Case)
उल्लेखनीय है कि विमल नेगी, जो HPPCL में मुख्य अभियंता और जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत थे, 10 मार्च 2025 को रहस्यमयी तरीके से लापता हो गए थे। उनकी लाश 18 मार्च को गोबिंद सागर झील, बिलासपुर में मिली थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, उनकी मृत्यु लाश मिलने से लगभग पांच दिन पहले हुई थी।
नेगी की पत्नी किरण नेगी ने इसे हत्या करार देते हुए HPPCL के वरिष्ठ अधिकारियों, विशेष रूप से तत्कालीन निदेशक (इलेक्ट्रिकल) देशराज और प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा पर कार्यस्थल पर उत्पीड़न और दबाव डालने का आरोप लगाया था। किरण नेगी की याचिका पर हाईकोर्ट ने CBI जांच का आदेश दिया, क्योंकि शिमला पुलिस की SIT जांच को अपारदर्शी और पक्षपातपूर्ण माना गया।
CBI ने शिमला पुलिस से मामले के सभी रिकॉर्ड्स मांगे हैं, और सूत्रों के अनुसार, ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन (BI) ने भी इस केस में संदिग्ध दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर एक समानांतर जांच शुरू की है। BI की तीन सदस्यीय SIT, CBI की मुख्य जांच में सहायता करेगी, विशेष रूप से उन पहलुओं पर जो विदेशी यात्रा या संदिग्ध वित्तीय लेनदेन से संबंधित हो सकते हैं।
इस मामले में क्या हो सकते हैं मुख्य जांच बिंदु
विमल नेगी मौत प्रकरण में CBI जांच के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट से जुड़े कुछ तथ्य अहम हो सकते हैं। एक मीडिया की खबर के मुताबिक विमल नेगी की मौत आत्महत्या थी या हत्या, यह सवाल गहरा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उनकी मौत 12-13 मार्च को हो चुकी थी, जबकि शव 18 मार्च को गोविंद सागर झील में मिला। सवाल उठता है कि क्या शव 5-6 दिन पानी में रहा? इसके अलावा शव के साथ मिले पेन ड्राइव और मोबाइल फोन पर पानी का कोई प्रभाव नहीं दिखा, जो हत्या की आशंका को बल देता है।
वहीं ACS होम की रिपोर्ट में शौंग टौंग जल विद्युत और पेखूबेला सोलर परियोजनाओं में सैकड़ों करोड़ के घोटाले का जिक्र है, जिसमें विमल नेगी पर दबाव और प्रताड़ना के आरोप हैं। शिमला पुलिस की SIT जांच पर उठे सवाल, पेन ड्राइव छिपाने और फॉर्मेट करने के आरोप लगे हैं। DGP, ACS होम और SP शिमला की रिपोर्ट्स में विरोधाभास है। जहां SP शिमला ने DGP और ACS होम पर गंभीर आरोप लगाए, तो महाधिवक्ता ने भी जांच की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी और परिवार का दावा है कि यह हत्या है, न कि आत्महत्या, और कार्यस्थल पर दबाव का आरोप, पुलिस जांच पर सवाल, सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका और भ्रष्टाचार पर केंद्रित रहेगी।
हाईकोर्ट ने की थी SIT की आलोचना
इस मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपनी 71 पेज की टिप्पणी में शिमला पुलिस की SIT जांच पर गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि SIT ने नेगी के लापता होने के पांच दिन (10-14 मार्च) की अवधि की जांच नहीं की और न ही यह पता लगाया कि क्या नेगी को उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने किसी परियोजना प्रस्तावक को अनुचित लाभ देने के लिए दबाव डाला था।
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ओंकार शर्मा की 66 पेज की तथ्य-खोजी रिपोर्ट में HPPCL के अधिकारियों के दुराचार की पुष्टि हुई थी, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया।
हाईकोर्ट ने SIT की जांच को “पक्षपातपूर्ण और अधूरी” करार देते हुए कहा कि यह जांच केवल यह साबित करने पर केंद्रित थी कि नेगी ने आत्महत्या की, जबकि परिवार के हत्या के आरोपों और कार्यस्थल पर उत्पीड़न के दावों की अनदेखी की गई। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि CBI की SIT में हिमाचल कैडर का कोई अधिकारी शामिल नहीं होगा ताकि जांच निष्पक्ष रहे।
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