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Kargil War Memories: शादी की उम्र में देश के लिए बलिदान देने वाले फतेहपुर के कारगिल शहीद अशोक कुमार

Kargil War Memories: शादी की उम्र में देश के लिए बलिदान देने वाले फतेहपुर के कारगिल शहीद अशोक कुमार

Kargil War Memories: हर साल 26 जुलाई को भारत कारगिल विजय दिवस मनाता है। यह दिन उन वीर सपूतों की याद में समर्पित है जिन्होंने 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल युद्ध में अदम्य साहस दिखाया और भारत की सरहदों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

फतेहपुर, हिमाचल प्रदेश के शहीद अशोक कुमार भी कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। वे शादी की उम्र में ही देश के लिए बलिदान हो गए। शहीद अशोक कुमार हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा की फतेहपुर विधानसभा के लौहारा के रहने वाले थे। कारगिल युद्ध के दौरान, उन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपनी जान कुर्बान की। उस समय उनकी उम्र 24 वर्ष थी।

कारगिल विजय दिवस के मौके पर उनकी माता ने बताया कि उनके बेटे का सपना था कि पहले वह घर बनाएँगे और फिर शादी करेंगे, लेकिन उससे पहले ही वे देश के लिए शहीद हो गए। शहीद अशोक कुमार के नाम पर फतेहपुर में एक गैस एजेंसी भी है।

कारगिल विजय दिवस पर शहीद के परिवार का छलका दर्द, शहीद के नाम पर बनाया गया गेट उपेक्षा का शिकार

जिला कांगड़ा के फतेहपुर उपमंडल की लौहारा पंचायत के कारगिल युद्ध में शहीद अशोक कुमार की वृद्ध माता शांति देवी और भतीजे जसपिंदर कुमार को 26 वर्ष बाद भी यह मलाल है कि उनके लाल की अंतिम इच्छा पूरी नहीं हो पाई। कारगिल विजय दिवस के मौके पर उन्होंने बताया कि देश के लिए मर मिटने वाले उनके सपूत का एकमात्र सपना था कि पहले मकान बनाएँगे और उसके बाद शादी करेंगे, लेकिन उससे पहले ही वे देश के लिए कुर्बान हो गए।

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उन्होंने कहा कि उन्हें अपने 24 वर्षीय जवान बेटे की शहादत पर गर्व है। परिवार ने घर बनाकर शहीद बेटे का सपना पूरा कर दिया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी सरकार से किसी चीज की मांग नहीं की। सरकार ने उन्हें गैस एजेंसी दी, इसके लिए वे उनका धन्यवाद करते हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा एक हैंडपंप और एक सड़क का निर्माण शहीद के नाम पर सरकार द्वारा करवाया गया है। शहीद अशोक कुमार की माता ने कहा कि उनका बेटा कारगिल युद्ध के दौरान 20 जून 1999 को शहीद हो गया था, परंतु आज भी वह उनके दिलों में जिंदा है और सदा रहेगा।

उन्होंने बताया कि उनके परिवार ने गाँव में आने वाले रास्ते पर स्वयं शहीद गेट बनवाया था। मगर उस गेट के किनारों पर डंगे लगना अभी बाकी है। अगर समय पर किनारों पर डंगे नहीं लगे, तो उनकी याद में बनाया गया शहीदी गेट गिरने का डर रहता है। उन्होंने गेट को बचाने के लिए जो उनसे हो सका, वह किया। उन्होंने सरकार से इस शहीदी गेट के आसपास डंगे लगाने और घर को जाने वाली सड़क की हालत सुधारने की मांग की है।

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Kargil War Memories: कारगिल युद्ध कैसे और कब शुरू हुआ?

1999 की गर्मियों में पाकिस्तानी सेना ने चुपके से LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल) पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की। उन्होंने ऊँचाई वाले क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था ताकि श्रीनगर-लेह राजमार्ग को बाधित किया जा सके। भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की शुरुआत की, जिसमें 500 से अधिक जवानों ने वीरगति प्राप्त की और हजारों ने दुश्मनों को पीछे खदेड़ा। यह लड़ाई मई से जुलाई 1999 तक जम्मू-कश्मीर के कारगिल सेक्टर में हुई थी और 26 जुलाई को भारत ने आधिकारिक रूप से विजय की घोषणा की थी।

26 जुलाई क्यों है खास?

भारत सरकार ने 26 जुलाई, 1999 को कारगिल युद्ध में जीत की औपचारिक घोषणा की। इस दिन भारतीय जवानों ने दुश्मनों को पूरी तरह से खदेड़ दिया और कारगिल की चोटियों को फिर से भारत के नियंत्रण में ले लिया। तभी से 26 जुलाई को “कारगिल विजय दिवस” के रूप में हर साल मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि देना है, बल्कि देशभक्ति की भावना को मजबूत करना भी है।

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अनिल शर्मा पिछले लगभग 6 वर्षों से "प्रजासत्ता" के साथ पत्रकारिता में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वह कांगड़ा जिले के फतेहपुर क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों, स्थानीय खबरों, और लोगों की समस्याओं को लगातार प्रमुखता से उठाते रहते हैं।

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