Kangra : बाथू मंदिर में ‘टिकट-व्यवस्था’ पर सियासी तूफान, भाजपा ने उठाए सवाल..!


Kangra: बाथू मंदिर में 'टिकट-व्यवस्था' पर सियासी तूफान, भाजपा ने उठाए सवाल..!

अनिल शर्मा, फतेहपुर
Kangra News : जिला कांगड़ा के पौंग बांध किनारे स्थित ऐतिहासिक बाथू की लड़ी मंदिर (जो पांडवों के इतिहास से जुड़ा हुआ है) में लोगों और गाड़ियों से संबंधित विभाग द्वारा पर्ची काटकर पैसे लेने के मामले पर जनता की आवाज को भाजपा नेताओं ने जोर-शोर से उठाया।

जैसे ही संबंधित विभाग और सरकार को घेरा गया, मीडिया से दूरी बनाए रखने वाला संबंधित विभाग आखिरकार मीडिया के सामने आने को मजबूर हो गया। विभाग और अधिकारियों ने मीडिया को बयान जारी कर सरकार के बचाव में आ गए।

भाजपा के पूर्व मंत्री ने बताया गैर कानूनी

पूर्व वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि यह पर्ची काटने का सिलसिला गैरकानूनी है। उन्होंने कहा, “सरकार कितनी दिवालिया निकल गई है कि अब साइकिल पर भी टैक्स और मंदिर जाने पर भी टैक्स लिया जा रहा है। गाड़ी की अलग पर्ची और प्रति व्यक्ति अलग पर्ची काटकर पैसे वसूले जा रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “जो भी अधिकारी इस कार्य को अंजाम दे रहा है, उसे बख्शा नहीं जाएगा। यह अंग्रेजों का राज नहीं है, जहां ऐतिहासिक मंदिर वाथू की लड़ी में जाने और दर्शन करने पर भी पर्ची काटकर पैसे वसूले जा रहे हैं। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

क्या बोले अधिकारी

वन्य प्राणी विभाग मंडल हमीरपुर के डीएफओ रेजिनॉल्ड रॉयस्टन ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि बाथू की लड़ी एवं सेंचुरी में घूमने आने वाले पर्यटकों से एंट्री के रूप में 10-10 रुपये और पार्किंग का शुल्क लिया जा रहा है। पार्किंग के लिए शुल्क अलग से सवारियों के हिसाब से तय किया गया है। उन्होंने बचाव करते हुए कहा कि एंट्री टिकट आदि से प्राप्त राशि को सेंचुरी परिसर के विकास कार्यों पर खर्च किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि उक्त क्षेत्र में शौचालयों का निर्माण, पीने के पानी की व्यवस्था जैसे कार्य किए जा रहे हैं। वहीं, सेंचुरी में स्थित मंदिर के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं। वर्तमान में पौंग सेंचुरी में जलस्तर कम होने से पानी में डूबे मंदिरों के दर्शन करने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग पहुंच रहे हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि बाथू मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जा रहा है। मंदिर में श्रद्धालु बिना शुल्क के दर्शन कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यहां से जनरेट होने वाला राजस्व प्रदेश सरकार को नहीं जा रहा है, बल्कि सोसायटी के माध्यम से क्षेत्र के विकास पर ही व्यय हो रहा है। उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बाथू मंदिर के दर्शन करने के लिए टिकट नहीं काटा जाता है।

बड़ा सवाल: कहां जाता है मंदिर का चढ़ावा ?

स्थानीय लोगों ने मांग की है कि यह भी स्पष्ट किया जाए कि मंदिर में चढ़ने वाला चढ़ावा एवं धनराशि कहां जाती है। उन्होंने कहा कि इस पर भी पर्दा उठाया जाए। जहां पर इतनी तादाद में श्रद्धालु, लोग और पर्यटक आते हैं, जो मंदिर में माथा टेकते हैं, वह मंदिर का चढ़ावा कहां जाता है, इस बारे में भी जानकारी सार्वजनिक की जाए।