कांगड़ा |
Kangra News: अपने पहले ही चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद, छोटे बाली यानि रघुवीर सिंह बाली, छोटी उम्र और बड़े कद के नेता बन गये हैं। कांग्रेस पार्टी के लोकसभा चुनाव सर्वे में कांगड़ा-चंबा लोकसभा से उपयुक्त प्रत्याशी माने जा रहे थे।
हालांकि उन्होंने चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर की। इस बात पर कोई चाहे कुछ भी कहे कि हार देख डर गए, पर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जो लगातार राजनीति में सक्रिय हैं उनका तो नाम तक भी इस सर्वे सूची में नहीं था।
अब बात करते हैं नगरोटा विधानसभा की, तो बड़े बाली ( जी एस बाली ) के चुनाव हारने के बाद नगरोटा हिमाचल के मानचित्र में अपना बजूद खो चुका था, वो नगरोटा जिसकी हर कैबिनेट मीटिंग में एक आईटम लगी होती थी जब बड़े बाली मंत्री हुआ करते थे। बड़े बाली इतने सक्षम नेता रहे हैं कि विपक्ष में होने पर भी योजनाएं व बजट ले आया करते थे। लेकिन उनके चुनाव हारने के बाद नगरोटा में भाजपा सरकार में भाजपा का विधायक होने के बाद भी कोई बड़ी उपलब्धि नहीं दे पाया ।
नगरोटा का पाँच वर्षों का सुखा उस समय खत्म हुआ जब जनता ने एक बार फिर उनके बेटे रघुबीर सिंह बाली को भारी मतों से जीतकर नगरोटा वासियों ने विधानसभा में भेज दिया। अब ऐसे में अगर डेढ़ साल के अंदर ही नगरोटा विधानसभा अपने विधायक को लोकसभा में भेजने पर सहमत हो जाती तो निसंदेह इसका नुकसान बाली का नहीं, बल्कि नगरोटा की जनता का होता।
क्योंकि मुख्यमंत्री के करीबी होने के नाते उन्हें विकास कार्य करवाने में जो सहयोग मिल रहा है उस से वंचित रह जाते। यह जरूरी है कि वो कम से कम दो या तीन बार विधायक बनने के बाद ही लोकसभा का विचार करें यही उनके और नगरोटा के हित में होगा।
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