Skincare Tips For Kids: कहावत है कि बेटियां कब बड़ी हो जाती हैं, यह पता ही नहीं चलता। मगर आजकल यह कहावत कुछ ज्यादा जल्दी सच साबित होने लगी है। कभी मां की देखादेखी, तो कभी बस शौक के चलते, बच्चियों में मेकअप का रुझान तेजी से बढ़ रहा है।घर के बच्चों को जब वे अपनी मां, दीदी, मौसी, बुआ या चाची को मेकअप करते देखते हैं, तो वे भी मेकअप करने की जिद करने लगते हैं। इसके बाद, अक्सर पेरेंट्स बिना किसी आपत्ति के बच्चों को मेकअप करने की अनुमति दे देते हैं, और कई बार तो उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित भी करते हैं।
कम उम्र में ही इन बच्चियों का ध्यान रचनात्मक अभिव्यक्ति से हटकर शारीरिक दिखावे पर केंद्रित होने लगता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे ट्विटर, इंस्टाग्राम, और फेसबुक पर युवा इन्फ्लुएंसर के रूप में मेकअप को प्रमोट करने वाली बच्चियों के फॉलोअर्स की लंबी लिस्ट, सामान्य बच्चियों को भी इस ओर आकर्षित करती है।
मेकअप वास्तव में कम उम्र में ही बच्चियों को शारीरिक और मानसिक तौर पर नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चियों की त्वचा बहुत नाजुक होती है और सौंदर्य प्रसाधनों में मौजूद केमिकल्स के कारण उनका हार्मोनल संतुलन बिगड़ सकता है। सौंदर्य प्रसाधनों में रेटिनॉइड्स, ग्लाइकोलिक एसिड जैसे तत्व होते हैं, जो बच्चियों की नाजुक त्वचा के बैरियर को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके कारण त्वचा में रूखापन, एलर्जी, जलन, कील-मुंहासे जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बच्चियों की त्वचा महिलाओं की तुलना में अधिक नाजुक और पतली होती है, जिसके कारण सौंदर्य प्रसाधनों के रासायनिक तत्व त्वचा के भीतर तक पहुंच जाते हैं और इससे त्वचा को दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है। अगर कम उम्र में आपकी बच्ची होठों पर लिपस्टिक लगाती है, तो इससे होठों से पपड़ी निकलने और कालापन होने की समस्या भी शुरू हो सकती है।
कुछ लिपस्टिक और सौंदर्य प्रसाधनों को लचीला बनाने और सुगंधित रखने के लिए पैराबेन्स, फ़थैलेट्स, और फिनोल जैसे पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। इनका नियमित उपयोग बच्चियों में समय से पूर्व प्यूबर्टी की शुरुआत कर सकता है, और लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से स्तन और ओवरीयन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
केमिकल युक्त सौंदर्य प्रसाधनों के उपयोग से त्वचा का प्राकृतिक pH और माइक्रोबियल संतुलन भी बिगड़ सकता है, जिससे एक्जिमा जैसे संक्रमण हो सकते हैं। अगर छोटी बच्चियों में एक्जिमा का संक्रमण हो जाए, तो इन सौंदर्य उत्पादों का उपयोग तुरंत रोक देना चाहिए, इससे राहत मिल सकती है।
पर्सनल केयर उत्पादों में जो सुगंधित और प्रिजर्वेटिव पदार्थ इस्तेमाल होते हैं, वे भी बच्चियों में एलर्जी का कारण बन सकते हैं।
सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर बच्चियां सुंदरता के नए मापदंडों के अनुसार ब्यूटी स्टैंडर्ड तय करने लगती हैं, जिन्हें हासिल करना उनके लिए बहुत मुश्किल हो सकता है। इसका असर मानसिक तनाव और शारीरिक विकास पर पड़ता है। कई बार बच्चियां डिप्रेशन, उत्तेजना और बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर का शिकार हो जाती हैं। यदि बच्ची में इन समस्याओं के प्रति समझ और सहनशीलता विकसित नहीं होती, तो वह मानसिक रूप से परेशान हो सकती है।
मुझे लगता है कि पेरेंट्स को युवा बच्चों को स्किनकेयर वीडियो से परहेज करने के लिए सक्रिय रूप से भूमिका निभानी चाहिए। उन्हें इन उत्पादों के दुष्प्रभाव के बारे में व्यावहारिक और विस्तृत जानकारी देनी चाहिए, ताकि बच्चों के दिमाग में यह बात घर कर जाए।
लेखिका शहनाज़ हुसैन अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ हैं और हर्बल क्वीन के रूप में लोकप्रिय हैं।












