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फीस के लिए नहीं थे पैसे फिर भी दो बच्चों की मां फातिमा ऐसे बनी पायलट, पढ़ें संघर्ष की कहानी

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Hyderabad: हैदराबाद के एक साधारण बेकरी कर्मचारी की बेटी फातिमा कभी पायलट बनने का सपना देखती थी। एक कार्यक्रम में ऐलान करते हुए फातिमा ने कहा कि वह पायलट बनना चाहती है, तब शायद किसी ने सोचा नहीं होगा कि यह छोटी लड़की एक दिन अपने सपने को हकीकत में बदल महाद्वीपों की उड़ान भरेगी।

बचपन में इकट्ठा करती थी तस्वीरें

पुरूषों के वर्चस्व वाले इस पेशे में एयरबस 320 की कमान संभालने वाली फातिमा को सबसे कम उम्र की महिला पायलट बनने का गौरव हासिल है। एक रिपोर्ट के अनुसार अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए फातिमा कहती है कि मैं बहुत कम उम्र में आसमान की ओर देखती थी और मैं बादलों को और करीब से देखना चाहती थी। मैं बचपन में अलग-अलग विमानों की तस्वीरें इकट्ठा करती थी।

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सपने के बारे में सुन लोगों ने उड़ाया मजाक

इंटर की परीक्षा पास करने के बाद उसने एक उर्दू सैनिक द्वारा आयोजित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए कोचिंग के लिए एडमिशन लिया। जब लोगों को उसके इस सपने के बारे में पता चला तो उन्होंने मेरा मजाक उड़या। अपनी कोचिंग के दौरान एक कार्यक्रम में, उर्दू सैनिक के संपादक जाहिद अली खान ने उससे पूछा कि वह क्या बनना चाहती हैं? तो उसने कहा कि वह पायलट बनना चाहती है।

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चुनौतियों के बावजूद पूरा किया प्रशिक्षण

मेरे सपने के प्रति जुनून को देखते हुए संपादक सलवा ने 2007 में आंध्र एविएशन अकादमी में मेरा दाखिला करा दिया। शुरूआती असफलताओं के बावजूद वह अडिग रही और आखिरकार उसने अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया। फातिमा बताती है कि वह कहती है मेरा सबसे अच्छा पल वह था जब मैंने पहली बार उड़ान भरी थी।

गल्फ एविशन अकादमी ने की सराहना

फातिमा बताती है कि मैंने भारत और विदेशों में ट्रेनिंग के दौरान हिजाब पहना था। हिजाब के कारण उसे कभी कोई समस्या नहीं हुई। उन्होंने बताया कि बहरीन में गल्फ एविशन अकादमी में उनकी सराहना की गई। उनकी हिजाब और पायलट की वर्दी की तस्वीरें एक पत्रिका में प्रकाशित हुई।

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