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Protest Against SIR: BLOs पर बढ़ते दबाव के बीच, चुनाव आयोग ने जारी रखा विशेष सघन मतदाता सूची संशोधन

Protest Against SIR: BLOs पर बढ़ते दबाव के बीच, चुनाव आयोग ने जारी रखा विशेष सघन मतदाता सूची संशोधन

Protest Against SIR: चुनाव आयोग ने बताया है कि विशेष सघन मतदाता सूची संशोधन (SIR) योजना और उसकी रणनीति के तहत कार्यवाही जारी है, और इसे आयोग ने अपनी घोषणा के बाद से अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगातार साझा किया है। यह प्रक्रिया कुल नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही है। हालांकि, हाल के दिनों में बूथ स्तर के अधिकारियों (BLOs) की मौतों और बढ़ते कार्यभार को लेकर उठे विवाद ने आयोग को कठिन स्थिति में डाल दिया है। इसके बावजूद, आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि यह संशोधन प्रक्रिया लगातार चल रही है।

जैसे-जैसे 4 दिसंबर 2025 को नामांकन की अंतिम तिथि नजदीक आ रही है, विरोध और आलोचना बढ़ती जा रही है, और यह सवाल उठने लगा है कि एक ऐसे अभ्यास के खिलाफ इतना विरोध क्यों हो रहा है, जो देश में नियमित रूप से होता रहा है। आखिर क्यों केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों ने विशेष सघन मतदाता सूची संशोधन (SIR) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है? BLOs की मौतें, समयसीमा पर सवाल

मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने विशेष सघन मतदाता सूची संशोधन (SIR) की सफलतापूर्वक संचालित प्रक्रिया के उदाहरण के रूप में बिहार का उल्लेख किया। हालांकि, इस प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न विरोध और आत्महत्याओं ने आयोग को चौंका दिया। केरल में एक BLO की आत्महत्या ने आग में घी डाल दिया, और यह विवाद अब पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु तक फैल चुका है। इस घटनाक्रम ने BLOs पर बढ़ते कार्यभार और प्रक्रिया की समयसीमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई राज्यों में विशेष सघन मतदाता सूची संशोधन (SIR) की कड़ी समयसीमा पर विरोध प्रकट किया गया है। 4 नवंबर से शुरू हुआ फॉर्म भरने का काम अब 4 दिसंबर को खत्म हो रहा है। BLOs को मतदाताओं से मिलना, फॉर्म देना, फोन पर सवालों का जवाब देना और सबसे अहम – फॉर्म वापस लेकर सही तरीके से डेटा भरना होता है। इतनी अधिक जिम्मेदारी के कारण विरोध बढ़ गया है।

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6 अक्टूबर को बिहार में चुनाव तारीखों की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने वहां के BLOs की सराहना की थी। लेकिन वही BLOs अब बंगाल में मुख्य चुनाव अधिकारी के ऑफिस के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, कारण – काम का अत्यधिक दबाव।

क्या काम का दबाव सच है? आंकड़े बताते हैं
बिहार में नामांकन का काम एक महीने में पूरा हुआ था और वहां किसी तरह का विरोध या आत्महत्या की कोई घटना नहीं हुई थी, लेकिन अन्य राज्यों की स्थिति अलग है। रिपोर्टों के अनुसार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में दो-दो BLOs की मौत हो चुकी है, जबकि केरल, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में एक-एक BLO की जान चली गई। कहा जा रहा है कि इस तरह के और भी मामले सामने आ सकते हैं।

जब बिहार में मतदाता सूची संशोधन शुरू हुआ था, तब यहां 7.89 करोड़ मतदाता थे। इसके लिए कुल 90,712 BLOs नियुक्त किए गए थे। BLOs इस पूरे कार्य का अहम हिस्सा हैं, और यह काम असल में एक छोटी जनगणना जैसा है।

बिहार में प्रत्येक BLO के पास औसतन 869 मतदाता थे, जिन्हें 30 दिनों के भीतर संभालना था। इसमें मतदाताओं के घर जाना, फॉर्म देना, फॉर्म भरवाना और जमा कराना शामिल था। इसके अलावा उन्हें लगातार कॉल्स का जवाब भी देना होता था।

मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और केरल के BLOs ने इस प्रक्रिया की समयसीमा पर सवाल उठाए हैं। पश्चिम बंगाल में एक मृत BLO की पति ने कहा कि उनकी पत्नी हर दिन अत्यधिक थक जाती थीं। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी इस्तीफा देना चाहती थीं, लेकिन अधिकारियों ने उसे स्वीकार नहीं किया।

कई महीने पहले अपने इंडियन एक्सप्रेस कॉलम में समाजसेवी योगेंद्र यादव ने लिखा था, “SIR केवल बिहार तक सीमित नहीं है। बिहार तो सिर्फ एक पायलट प्रोजेक्ट है। ECI ने आदेश दिया है कि देश के बाकी हिस्सों में इस अभ्यास की तैयारी शुरू की जाए, जबकि सुप्रीम कोर्ट इसकी वैधता पर विचार कर रहा है।”

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फेज़ 2 के लिए 12 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को चुना गया है, जिनमें कुल मतदाताओं की संख्या 50,97,44,423 है। इन मतदाताओं के लिए कुल 5,32,828 BLOs नियुक्त किए गए हैं, यानी औसतन हर BLO को 956 मतदाताओं की जिम्मेदारी दी गई है, जिन्हें तीन बार घर जाकर संपर्क करना होता है और 30 दिन की समयसीमा में काम पूरा करना होता है।

हर BLO को निर्देश दिया गया है कि अगर किसी मतदाता का घर बंद मिले या वह उपस्थित न हो, तो कम से कम तीन बार घर जाना होगा। इसके अलावा, BLO को अपने 956 मतदाताओं के घर जाकर फॉर्म पहुंचाने की जिम्मेदारी भी दी गई है। इस प्रक्रिया में BLOs को अनिश्चितताओं का सामना भी करना पड़ता है, क्योंकि वे जनता और आयोग के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं।

अब हम यह देखते हैं कि हर राज्य में कितने मतदाता और BLOs नियुक्त किए गए हैं:

क्रमांक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश मतदाता (Voters) BLOs प्रति BLO मतदाता (Voters per BLO)
1 अंडमान और निकोबार 3,10,404 411 755
2 छत्तीसगढ़ 2,12,30,737 24,371 871
3 गोवा 11,85,034 1,725 687
4 गुजरात 5,08,43,436 50,963 998
5 केरल 2,78,50,855 25,468 1,094
6 लक्षद्वीप 57,813 55 1,051
7 मध्य प्रदेश 5,74,06,143 65,014 883
8 पुडुचेरी 10,21,578 962 1,062
9 राजस्थान 5,46,56,215 52,222 1,047
10 तमिलनाडु 6,41,14,587 68,470 936
11 उत्तर प्रदेश 15,44,30,092 1,62,486 950
12 पश्चिम बंगाल 7,66,37,529 80,681 950

तालिका के अनुसार, गोवा में हर BLO के पास सबसे कम 687 मतदाता हैं, जबकि केरल में हर BLO को सबसे ज्यादा 1,094 मतदाता संभालने पड़ रहे हैं। ये सिर्फ ECI द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े हैं।

जैसा पहले बताया गया, इस पूरे नामांकन चरण में हर BLO के पास औसतन 956 मतदाताओं की जिम्मेदारी होती है। अगर काम सही तरीके से चलता है, तो हर BLO को औसतन 31 मतदाताओं के घर जाकर फॉर्म देना और उन्हें जमा करना होता है। कभी-कभी इनमें कई मतदाता एक ही परिवार के होते हैं, लेकिन फॉर्म की संख्या वही रहती है।

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विशेष सघन मतदाता सूची संशोधन (SIR) में BLOs से यह उम्मीद की जा रही है कि वे पूरे महीने लगातार बिना किसी छुट्टी के काम करें। अगर इसमें रविवार भी शामिल हो, तो हर दिन मतदाताओं के घर जाने का काम काफी बढ़ जाएगा। हालांकि ये सब कागजों पर है, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति अलग है। कुछ BLOs ने आरोप लगाया है कि उन्हें किसी अन्य BLO के इलाके, गांव या टोला संभालने के लिए भेजा गया है। इसके अलावा, अगर कोई मतदाता घर पर नहीं मिलता, तो BLO को उसे तीन बार विजिट करना पड़ता है, जो काम को और कठिन बना देता है।

BLOs ने आरोप लगाया है कि नामांकन कार्य का वितरण समान नहीं है, और यही उनके बढ़ते तनाव का कारण है। चुनाव आयोग ने कहा है कि 2002-04 के SIR के मुकाबले इस बार बेहतर संसाधन उपलब्ध हैं। हालांकि, गलत जानकारी के कारण मतदाताओं के लिए इस प्रक्रिया को समझना अब भी चुनौतीपूर्ण है, और यही वजह है कि BLOs अक्सर निशाने पर आ रहे हैं।

केरल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) रतन यू. केलकर ने कहा कि तय किए गए लक्ष्य केवल यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि काम समय पर पूरा हो, न कि कर्मचारियों पर दबाव डालने के लिए। हालांकि, वास्तविकता में दोनों साथ-साथ चलते हैं। अब तक चुनाव आयोग (ECI) ने BLOs द्वारा किए गए विरोध पर कोई टिप्पणी नहीं की है, और विशेष सघन मतदाता सूची संशोधन (SIR) 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में जारी है।

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