NCB Chandigarh: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की चंडीगढ़ जोनल यूनिट ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के नाहन क्षेत्र के कालाअम्ब में स्थित कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के एक पार्टनर को गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक कंपनी के पार्टनर अनुज कुमार की रुड़की हरियाणा से गिरफ्तारी हुई है। उल्लेखनीय है कि यह कंपनी पहले भी सुर्खियों में रही है, जब साल 2020 में इस कंपनी के कफ सिरप के सेवन से जम्मू-कश्मीर में कई बच्चों की मौत हो गई थी।
अनुज कुमार डिजिटल विजन सिरप कंपनी (Digital Vision Syrup Company) का पार्टनर है, जो बच्चों और बड़ों की गंभीर खांसी के लिए कफ सिरप बनाती है। एनसीबी से प्राप्त जानकारी अनुसार अनुज कुमार पर करीब 50 लाख रुपये के टैबलेट और 12 हजार कफ सिरप की बोतलें देहरादून की तिवारी मेडिकल एजेंसी और राजस्थान की दो अन्य एजेंसियों को गैर-कानूनी तरीके से बेचने का आरोप है। एनसीबी का दावा है कि ये टैबलेट और कफ सिरप ड्रग्स कारोबारियों को भी बेचे जा रहे थे। आरोपी के खिलाफ इससे पहले भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक NCB के अधिकारियों ने बताया कि अनुज कुमार के खिलाफ पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। फिलहाल उससे पूछताछ की जा रही है ताकि इस नेटवर्क में शामिल अन्य लोगों की जानकारी मिल सके। NCB की जांच में सामने आया है कि यह कंपनी NRX और सायकोट्रॉपिक ड्रग्स का निर्माण करती थी। बच्चों और बड़ों की गंभीर खांसी के लिए बनाए जाने वाले सिरप के नाम पर यह नशीले पदार्थों की अवैध सप्लाई में लिप्त थी।
एक राष्ट्रीय मीडिया चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) का दावा है कि डिजिटल विजन कंपनी एक बड़े अंतर-राज्यीय नशीले पदार्थ वितरण नेटवर्क की प्रमुख आपूर्तिकर्ता थी। जांच में पता चला है कि कंपनी ने व्यवस्थित रूप से ट्रामाडोल कैप्सूल और कोडीन फॉस्फेट वाले कफ सिरप की बड़ी मात्रा जोधपुर और देहरादून की कुछ ऐसी वितरक कंपनियों को भेजी, जो केवल कागजों पर ही अस्तित्व में थीं।
जब्त किए गए बिलों और बैंक रिकॉर्ड से पता चलता है कि कंपनी ने डेढ़ साल की अवधि में 48 लाख से ज्यादा ट्रामाडोल कैप्सूल और करीब 12,000 बोतल कफ सिरप इन अस्तित्वहीन कंपनियों को भेजे। इन लेन-देन का भुगतान पहले से गिरफ्तार एक सह-आरोपी के बैंक खाते से जुड़ा हुआ पाया गया है।
एनसीबी का यह भी आरोप है कि फर्म ने अपनी एमडी-वीआई (MD-VI) सर्टिफिकेट रद्द होने के बाद भी बिना अनुमति के उत्पादन और भंडारण की गतिविधियाँ जारी रखीं। एजेंसी का कहना है कि ये तथ्य इस ओर इशारा करते हैं कि डिजिटल विजन कंपनी एक संगठित और सुनियोजित तरीके से नशीले पदार्थों की अवैध आपूर्ति में शामिल थी।










