Sanchar Saathi App Row: नई दिल्ली, 2 दिसंबर। केंद्र सरकार ने ‘संचार साथी’ ऐप को मोबाइल फोन में पहले से इंस्टॉल और अनइंस्टॉलेबल बनाने के अपने विवादास्पद फैसले पर बुधवार को यू-टर्न ले लिया है। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया कि यह ऐप अनिवार्य नहीं है और उपयोगकर्ता चाहें तो इसे अपने फोन से हटा सकते हैं।
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए मंत्री सिंधिया ने कहा, “अगर आप संचार साथी नहीं चाहते हैं, तो आप इसे डिलीट कर सकते हैं। यह ऑप्शनल है। यह हमारा फर्ज है कि हम इस ऐप को सभी को बताएं। इसे अपने डिवाइस में रखना है या नहीं, यह यूज़र पर निर्भर करता है।”
#WATCH | Delhi | “… If you don’t want Sanchar Sathi, you can delete it. It is optional… It is our duty to introduce this app to everyone. Keeping it in their devices or not, is upto the user…,” says Union Minister for Communications Jyotiraditya Scindia. pic.twitter.com/iXzxzfrQxt
— ANI (@ANI) December 2, 2025
क्या था पहले का विवादास्पद आदेश?
मंत्री के इस बयान से पहले, दूरसंचार विभाग (DoT) ने 28 नवंबर को एक आदेश जारी कर सभी मोबाइल फोन निर्माताओं और आयातकों को निर्देश दिया था कि भारत में बिकने वाले सभी नए फोन में ‘संचार साथी’ ऐप पहले से इंस्टॉल होना चाहिए। इस आदेश के मुताबिक, ऐप को छिपाया या डिलीट नहीं किया जा सकता था और पहले से बिक्री के लिए रखे गए फोन्स में भी अपडेट के ज़रिए इसे इंस्टॉल करना था। विभाग का कहना था कि इस ऐप का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को असली डिवाइस की पहचान करने और दूरसंचार सेवाओं के दुरुपयोग को रोकने में मदद करना है।
विपक्ष ने उठाए थे गंभीर सवाल
सरकार के इस आदेश का विपक्षी दलों ने तीखा विरोध किया था। उन्होंने इसे नागरिकों की निजता के अधिकार का हनन बताया था और आरोप लगाया था कि सरकार इस ऐप के ज़रिए लोगों पर नज़र रखना चाहती है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इसे “हर भारतीय पर नज़र रखने का डरावना टूल” बताते हुए कहा था कि एक प्री-लोडेड ऐप जिसे अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता, वह गैर-कानूनी है।
संचार मंत्री द्वारा ऐप को वैकल्पिक और डिलीट करने योग्य बताए जाने के बाद अब इस विवाद के थमने की उम्मीद है। यह स्पष्टीकरण उन आशंकाओं का जवाब देता है जिनमें लोगों को लग रहा था कि सरकार उनकी मर्ज़ी के बिना एक ऐप थोप रही है जिसे हटाया नहीं जा सकता। हालांकि, यह अभी देखना होगा कि दूरसंचार विभाग अपने पिछले आदेश में संशोधन करता है या नहीं।












