Sanjauli Masjid Controversy: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली इलाके में अवैध निर्माण को लेकर विवादित मस्जिद मामला अब हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय पहुंच गया है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की और अगली सुनवाई एक दिसंबर के लिए निर्धारित की।
उल्लेखनीय है कि वक्फ बोर्ड ने शिमला नगर निगम आयुक्त और जिला अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया है। बोर्ड ने न केवल अदालती फैसलों को बल्कि वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों को भी चुनौती दी है। शुक्रवार की सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड के वकील ने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने राज्य सरकार को पार्टी बनाने के लिए आवेदन दायर कर दिया है।
नगर निगम की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि इस तरह की मांगों को लेकर दायर याचिका सुनने योग्य नहीं है, क्योंकि नगर निगम और वक्फ बोर्ड के क्षेत्राधिकार अलग-अलग हैं। अब एक दिसंबर को याचिका की ‘मेंटेनेबिलिटी’ (सुनवाई के योग्यता) पर सुनवाई होगी।
बता दें कि जिला अदालत ने 30 अक्टूबर को शिमला नगर निगम आयुक्त के 3 मई, 2025 के उन आदेशों को सही ठहराया था, जिनमें पूरी मस्जिद को अवैध बताते हुए पूरा ढांचा हटाने के निर्देश दिए गए थे। अदालत ने 30 दिसंबर तक अवैध निर्माण हटाने का आदेश दिया था। इससे पहले, नगर निगम आयुक्त ने ऊपर की तीन मंजिलों को गिराने का आदेश दिया था, जिसके बाद मस्जिद कमेटी ने दो मंजिलों को स्वेच्छा से तोड़ देने को कहा था। हालांकि, मंजिलें नहीं हटाई गई थी। बाद में नगर निगम आयुक्त ने निचली दो मंजिलों को भी अवैध करार दे दिया था।
संजौली मस्जिद मामला करीब 16 वर्षों से चल रहा है, जिसमें अब तक 50 से अधिक बार सुनवाई हो चुकी है। यह मामला पिछले साल अगस्त में तब और गरमाया जब शिमला के मैहली इलाके में दो गुटों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद सितंबर में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किए और संजौली-ढली में उग्र प्रदर्शन हुए थे। अब सभी की निगाहें एक दिसंबर को होने वाली उच्च न्यायालय की सुनवाई पर टिकी हैं, जो इस लंबे चल रहे विवाद के भविष्य का रास्ता तय करेगी।












