Himachal High Court’s Decision: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति को जंगली जानवर समझकर गलती से गोली मारना भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 106 के तहत लापरवाही से हुई मौत माना जाएगा, न कि धारा 103 के तहत हत्या। जस्टिस राकेश कैंथला ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता का मृतक सोम दत्त को मारने का कोई इरादा नहीं था। इसलिए, इसे हत्या नहीं माना जा सकता, बल्कि यह धारा 106 के तहत जमानती अपराध है।
क्या है मामला?
दरअसल यह घटना जनवरी 2025 की है, जब सोम दत्त के लापता होने की सूचना मिली थी। शिकायत के अनुसार सोमदत्त उर्फ सोनू (38) निवासी गांव पलहेच, तहसील पच्छाद जिला सिरमौर अपने जीजा के घर सोलन के सपरून में आया था। 21 जनवरी को सोमदत्त घर के साथ लगते जंगल की तरफ यह कहकर गया था कि वह लकड़ियां लाने जा रहा है, लेकिन वापस नहीं लौटा।
परिजनों ने फोन किया पर स्विच ऑफ आया। इसके बाद परिजनों ने सोमदत्त की तलाश जंगल में की, लेकिन कोई पता नहीं चला। परिजनों ने 23 जनवरी को थाना सदर सोलन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस थाना सदर सोलन की टीम ने प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की। पुलिस ने सीडीआर टावर लोकेशन का विश्लेषण किया, जिसके आधार पर दो आरोपियों को ट्रेस कर इनसे पूछताछ की गई।
पुलिस ने इस मामले में दो आरोपी भुट्टो राम निवासी रिहूं पडमोल डाकघर बोहली जिला सोलन और संदीप कुमार निवासी गांव व डाकखाना सुल्तानपुर सोलन को गिरफ्तार किया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मौत का कारण सिर और सीने में गोलियों के घाव से रक्तस्राव और सदमा था। इसी मामले में आरोपितों ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है।
याचिकाकर्ता ने भुट्टो राम ने दावा किया कि वह और संदीप कुमार जंगली जानवर की तलाश में जंगल गए थे। इस दौरान सोम दत्त, जो झाड़ियों में छिपा था, को गलती से जंगली जानवर समझकर गोली मार दी गई। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि उसे केवल कॉल डिटेल के आधार पर झूठा फंसाया जा रहा है, जो अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर अभियोजन पक्ष का दावा सही भी मान लिया जाए, तो यह हत्या नहीं, बल्कि लापरवाही से हुई मौत का मामला है, जो जमानती अपराध है।
कोर्ट का तर्क
हाईकोर्ट ने अभियोजन पक्ष के बयान का हवाला दिया, जिसमें स्वीकार किया गया कि सह-अभियुक्त ने पक्षी का शिकार करने की गलतफहमी में गोली चलाई थी। कोर्ट ने BNS की धारा 299 और धारा 100 के दृष्टांत (ग) का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति पक्षी पर गोली चलाने के इरादे से फायर करता है, लेकिन गलती से झाड़ियों में छिपे व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो यह लापरवाही का मामला है, न कि जानबूझकर हत्या।
अदालत का फैसला
इस मामले पर सुनवाई के बाद जस्टिस कैंथला ने निष्कर्ष दिया कि याचिकाकर्ता को गैर-जमानती अपराध के लिए दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। इसलिए, यह मामला BNS की धारा 106 के तहत लापरवाही से मृत्यु का माना जाएगा। याचिकाकर्ता ने BNS की धारा 103 (हत्या), धारा 238 (साक्ष्य मिटाने या झूठी सूचना देना) और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 व 27 (अवैध हथियार रखना और उपयोग) के तहत जमानत मांगी थी। कोर्ट ने इस मामले में लापरवाही को आधार मानते हुए याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया।
पुलिस जांच में हुआ था यह खुलासा
उल्लेखनीय है कि जांच के दौरान पुलिस टीम ने यह पाया था कि आरोपी भुट्टो राम निवासी रिहूं पडमोल डाकघर बोहली जिला सोलन और संदीप कुमार निवासी गांव व डाकखाना सुल्तानपुर सोलन के साथ लगते जंगल में शिकार खेलने गए थे। दोनों अपनी दो गाड़ियां सड़क के किनारे खड़ी कर जंगल में चले गए। ठीक उसी समय सोमदत्त भी शिकार के लिए अपने जीजा के पड़ोसी की बंदूक लेकर उसी जंगल में गया था।
शिकार के दौरान संदीप उर्फ अजय ने अपनी बंदूक से गोली चला दी जो दूसरी तरफ शिकार कर रहे व्यक्ति सोम दत्त उर्फ सोनू के सिर पर लग गई, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। वारदात के बाद दोनों आरोपियों ने साक्ष्यों को मिटाने की नीयत से शव को अपने साथ रखे प्लास्टिक के बैग में डाल दिया। शव को दोनों अपनी गाड़ी में सिरमौर जिले के वासनी जंगल में एक गुफा में ले गए। जहाँ तेजधार हथियार से दोनों ने मृतक के शव को धड से अलग किया ताकि शव की पहचान न हो सके।
जाने से पहले आरोपियों ने अपने मोबाइल फोन एक गाड़ी में ही रख दिए थे, ताकि इनकी लोकेशन को ट्रेस न हो सके। जाँच के दौरान पुलिस टीम ने मृतक के धड़ और सिर को जहां छिपाया था, उनकी शिनाख्त भी की थी। जिनका फॉरेंसिक टीम जुन्गा के साथ निरीक्षण किया था। आरोपी संदीप ने मृतक की बंदूक को अपने घर के पास ही छुपा दिया था। आरोपी की निशानदेही पर उसे घर के पास से बरामद कर लिया गया था। आरोपियों ने अपना जुर्म भी कबूल किया था।











