Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

‘नेहरू सरनेम क्यों नहीं रखते’, पीएम मोदी के इस बयान पर कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने दिया विशेषाधिकार हनन का नोटिस

[ad_1]

Parliament Budget Session: कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने पीएम मोदी को नेहरू सरनेम वाले बयान पर विशेषाधिकार हनन नोटिस दिया है। पिछले महीने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देते हुए पीएम मोदी ने नेहरू उपनाम का उपयोग नहीं करने को लेकर गांधी परिवार पर हमला बोला था।

नेहरू और इंदिरा पर साधा था निशाना

पीएम ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देते हुए पूछा था कि नेहरू उपनाम पर उपयोग करने में शर्म क्यों आती है? जबकि उन्होंने कांग्रेस पार्टी के गैर नेतृत्व वाली राज्य सरकारों को गिराने के लिए बार-बार अनुच्छेद 356 का उपयोग करने के लिए जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी की आलोचना की थी।

कांग्रेस सांसद ने पीएम के बयान को इस तरह से लिखा है, मुझे बहुत आश्चर्य होता है कि चलो भाई, नेहरू जी का नाम हमसे कभी छूट जाता होगा और यदि छूट जाता है, तो हम उसे ठीक भी कर लेंगे। क्योंकि वे देश के पहले प्रधानमंत्री थे, लेकिन मुझे यह समझ नहीं आता है उनकी पीढ़ी का कोई भी व्यक्ति नेहरु जी का सरनेम रखने से क्यों डरता है? क्या शर्मिंदगी है? नेहरु सरनेम रखने में क्या शर्मिंदगी है? इतना बड़ा महान व्यक्ति आपको मंजूर नहीं है? परिवार को मंजूर नहीं है।

इसे भी पढ़ें:  सर्वदलीय बैठक में 27 दलों के नेता शामिल

संघवाद के बहाने कांग्रेस को घेरा

पीएम ने संघवाद के मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि नेहरू और गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकाराें ने कई क्षेत्रीय दलों की राज्य सरकारों को गिराने के लिए कम से कम 90 बार संविधान के अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल किया। मोदी ने कहा कि राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियाें की सरकारों को गिराने के लिए इंदिरा गांधी ने अकेले अनुच्छेद 356 का 50 बार इस्तेमाल किया।

क्या होता है विशेषाधिकार हनन का नोटिस

संसदीय विशेषाधिकार व्यक्तिगत रूप से और सामूहिक रूप से संसद के सदस्यों को प्राप्त अधिकार हैं, ताकि वे अपने कार्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर सकें। जब इनमें से किसी भी अधिकार और प्रतिरक्षा की अवहेलना की जाती है, तो अपराध को विशेषाधिकार का उल्लंघन कहा जाता है और यह संसद के कानून के तहत दंडनीय है।

इसे भी पढ़ें:  Same Sex Marriage: ‘मौलिक महत्व का है मुद्दा…’ समलैंगिक शादी मसले पर SC की अहम टिप्पणी, 18 अप्रैल को संविधान पीठ करेगा सुनवाई



[ad_2]

Source link

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment