Google News Preferred Source
साइड स्क्रोल मेनू

Himachal News: 1971 बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में शहीद हिमाचल के हंस राज के साहस को बांग्लादेश का सम्मान..!

Himachal News: 1971 बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में शहीद हिमाचल के हंस राज के साहस को बांग्लादेश का सम्मान..!

अनिल शर्मा | फतेहपुर
Himachal News:
1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारतीय सेना ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी और एक ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस युद्ध के परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान एक स्वतंत्र राष्ट्र, बांग्लादेश, के रूप में उभरा। इस युद्ध में कई भारतीय सैनिकों ने अपनी शहादत दी। बांग्लादेश सरकार ने इन शहीदों के परिवारों को सम्मानित करने के लिए सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह जारी किए हैं।

हिमाचल प्रदेश के फतेहपुर उपमंडल के चमराल गांव निवासी 21 पंजाब रेजीमेंट के सिपाही हंस राज ने इस युद्ध में 6 दिसंबर 1971 को अदम्य साहस का परिचय देते हुए शहादत प्राप्त की। उनकी वीरता को सम्मानित करने के लिए 28 मई 2025 को 21 पंजाब रेजीमेंट के सैनिक उनके पैतृक गांव चमराल पहुंचे और उनके छोटे भाई राम स्वरूप शर्मा को ‘लिबरेशन वॉर ऑनर’ स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया।

इसे भी पढ़ें:  Himachal News: ऊना व कांगड़ा में मैगमा कंपनी के चार ठिकानों पर सीबीआई की दबिश​​​​​

राम स्वरूप शर्मा ने बताया कि पांच भाइयों में हंस राज सबसे बड़े थे। वे 26 अक्टूबर 1965 को 21 पंजाब रेजीमेंट में भर्ती हुए थे और 1971 के भारत-पाक युद्ध में हिस्सा लिया। युद्ध के दौरान 6 दिसंबर 1971 को वे शहीद हो गए। उस समय हंस राज अविवाहित थे। उनके शहीद होने के बाद उनके पिता स्वर्गीय रुणकू राम को पेंशन मिलती रही। पिता की मृत्यु के बाद उनकी माता मंगली देवी को 1998 तक पेंशन प्राप्त होती रही।

2018 में बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना और राष्ट्रपति अब्दुल हामिद के हस्ताक्षरों से जारी सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह प्राप्त कर राम स्वरूप शर्मा, उनकी पत्नी रमा देवी और भतीजा सूरज शर्मा अत्यंत प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मान न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व की बात है।

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Join WhatsApp

Join Now