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Himachal 10 CESS: हिमाचल विधानसभा में सामने आई 10 सैसों की पूरी लिस्ट, जानें प्रदेश में कौन-कौन से उपकर हैं लागू..

Himachal 10 CESS: हिमाचल विधानसभा में सामने आई 10 सैसों की पूरी लिस्ट, जानें प्रदेश में कौन-कौन से उपकर हैं लागू..

Himachal 10 CESS: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान गुरुवार को प्रश्नकाल में प्रदेश में लागू 10 सैसों (उपकर) पर विस्तृत चर्चा हुई। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने जसवां-प्रागपुर से भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर और नैना देवी से विधायक रणधीर शर्मा के सवालों के जवाब में सैसों की पारदर्शिता और उपयोगिता पर सरकार का पक्ष रखा।

उन्होंने स्पष्ट किया कि इन सैसों से प्राप्त 762 करोड़ रुपये का राजस्व केवल जनहित और कल्याणकारी कार्यों में खर्च किया जा रहा है, जिससे आम जनता पर कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पड़ रहा। बल्कि बड़े उद्योगपतियों, शराब कारोबारियों और ठेकेदारों पर डाला गया है।

जानिए हिमाचल में जनता पर लगने वाले कौन से 10 उपकर (सैस) है और उनसे प्राप्त हुए राजस्व की जानकारी
हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में लागू 10 सैसों में शामिल हैं:

क्र.सं.
सैस का नाम
प्राप्त राजस्व
1
पंचायती राज संस्था सैस
153 करोड़ रुपये
2
मोटर वाहन सैस
185 करोड़ रुपये
3
गोवंश विकास निधि सैस
65.35 करोड़ रुपये
4
एंबुलेंस सेवा फंड सैस
16.97 करोड़ रुपये
5
मिल्क सैस
112 करोड़ रुपये
6
प्राकृतिक खेती सैस
21.78 करोड़ रुपये
7
कोविड सैस
145 करोड़ रुपये
8
दुग्ध उपकर
21 लाख रुपये
9
विद्युत बिलों पर मिल्क और पर्यावरण सैस
10.80 करोड़ रुपये
10
लेबर सैस
50.4 करोड़ रुपये

उन्होंने कहा कि इन सैसों में से कई पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में शुरू किए गए थे, जैसे कोविड सैस और गोवंश विकास निधि सैस। वर्तमान सरकार ने कुछ नए सैस जनहित में लागू किए, लेकिन इनका भार मुख्य रूप से बड़े उद्योगपतियों, शराब कारोबारियों और ठेकेदारों पर डाला गया है।

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मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि कोविड सैस, जिससे 145 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, को खत्म कर दिया गया है और इसकी शेष राशि कोविड से संबंधित कार्यों में ही खर्च की जाएगी। वहीं, एंबुलेंस सेवा फंड सैस से 16.97 करोड़ रुपये से 50 आपातकालीन एंबुलेंस खरीदी गईं, जो मंडी, शिमला, कांगड़ा, सिरमौर, सोलन, बिलासपुर, कुल्लू, उना और किन्नौर में उपलब्ध कराई गई हैं। हालांकि, चंबा में अभी तक कोई एंबुलेंस नहीं खरीदी गई, जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाए।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि शराब की बिक्री पर लगाए गए सैसों से कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन इसका असर सामान्य वर्ग पर नहीं पड़ता। माइनिंग सैस से रेत-बजरी की कीमतों में वृद्धि के विपक्षी आरोपों पर उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार इस पर नियंत्रण के लिए कदम उठाएगी। बिजली बिलों पर सैस का असर आम जनता पर न पड़े, इसके लिए भी सरकार विचार कर रही है।

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चर्चा के दौरान भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर ने कोविड सैस की शेष राशि और एंबुलेंस सेवा की स्थिति पर सवाल उठाए, जबकि रणधीर शर्मा ने गोवंश विकास निधि के तहत गौशालाओं को भुगतान में देरी का मुद्दा उठाया। जवाब में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गौवंश विकास के लिए फंड बढ़ाया गया है और जल्द ही भुगतान सुनिश्चित होगा। उन्होंने यह भी बताया कि वित्त विभाग सैसों के खर्च के लिए सख्त एसओपी तैयार कर रहा है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

उपमुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि वर्तमान सरकार आम आदमी की सरकार है और उसका लक्ष्य जनता को राहत देना है। सैसों से प्राप्त राशि का उपयोग पंचायती राज, प्राकृतिक खेती, गोवंश संरक्षण और आपातकालीन सेवाओं जैसे क्षेत्रों में किया जा रहा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि कोई भी निर्णय आम जनता पर वित्तीय दबाव नहीं डालेगा।

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