Vrindavan VIP Darshan Banned: उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर की उच्चाधिकार प्राप्त प्रबंधन समिति ने आज एक अहम निर्णय लिया है। समिति ने तत्काल प्रभाव से वीआईपी दर्शन पास को बंद करने और भक्तों के लिए सीधा प्रसारण शुरू करने की घोषणा की है।
यह कदम सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित समिति की एक बैठक में लिया गया, जिसमें मंदिर की दर्शन व्यवस्था और सुरक्षा में सुधार लाने पर जोर दिया गया। जिला सूचना अधिकारी की ओर से जारी बयान के अनुसार, अब वीआईपी के लिए पर्ची कटाकर दर्शन की प्रथा खत्म हो गई है और संबंधित कटघरा भी हटाया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि अब हर श्रद्धालु को कतार में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना होगा। इससे मंदिर प्रबंधन पर भेदभाव के आरोप नहीं लगेंगे और दर्शन के दौरान भीड़भाड़ या धक्का-मुक्की से बचा जा सकेगा। अगले तीन दिनों में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक यह तय करेंगे कि प्रवेश और निकासी के लिए कौन से द्वार उपयोग में लाए जाएंगे। सुरक्षा की जिम्मेदारी अब पुलिस या निजी गार्डों के बजाय पूर्व सैनिकों या पेशेवर सुरक्षा एजेंसियों को सौंपी जाएगी। इसके अलावा, मंदिर अब पहले से अधिक समय तक खुला रहेगा और जल्द ही दुनिया के किसी भी हिस्से से भक्त ठाकुर जी के दर्शन कर सकेंगे।
गर्मी के मौसम में मंदिर तीन घंटे और सर्दियों में ढाई घंटे अतिरिक्त खुला रहेगा। समिति ने यह भी फैसला लिया कि मंदिर भवन का संरचनात्मक ऑडिट आईआईटी रुड़की से कराया जाएगा। साथ ही, मंदिर की चल-अचल संपत्ति का पूरा ब्योरा जुटाया जाएगा। खास तौर पर 2013 से 2016 के दौरान हुई अनियमितताओं की जांच के लिए विशेष ऑडिट कराया जाएगा, जिसकी रिपोर्ट 15 दिनों में समिति के सामने पेश की जाएगी। इसके अलावा, मंदिर के गर्भगृह में लंबे समय से बंद पड़े कमरों को खोला जाएगा और वीडियोग्राफी के जरिए वहां मौजूद सामग्री का रिकॉर्ड रखा जाएगा।
वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है, जहां हर श्रद्धालु को अपने आराध्य के दर्शन का समान अधिकार है। अब तक की व्यवस्था में खास लोग सीधे दर्शन कर लेते थे, जबकि आम भक्तों को लंबी कतार में इंतजार करना पड़ता था। वीआईपी दर्शन बंद करने का यह फैसला न केवल समय के साथ मेल खाता है, बल्कि मंदिर की पवित्रता को भी बनाए रखेगा। भक्ति का मूल आधार समानता और निस्वार्थ भाव है, और यह निर्णय उस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
इस बदलाव से भीड़ का प्रबंधन आसान होगा, असंतोष और अव्यवस्था की स्थिति कम होगी। सबसे बड़ी बात, भक्तों को यह एहसास होगा कि ईश्वर के दरबार में सब बराबर हैं। इससे मंदिर प्रबंधन पर लगने वाले व्यापारीकरण और पक्षपात के आरोप भी धीरे-धीरे खत्म होंगे। श्री बांके बिहारी मंदिर की प्रबंधन समिति का यह कदम सिर्फ धार्मिक स्थल की व्यवस्था तक सीमित नहीं, बल्कि यह समाज को यह संदेश देता है कि आस्था में ऊंच-नीच की कोई जगह नहीं। जब सभी भक्त एक ही पंक्ति में दर्शन करेंगे, तभी सच्ची भक्ति का आनंद और संतुष्टि मिलेगी।
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