Ayodhya Ram Mandir Diwali: : मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या इस साल दीपोत्सव 2025 के लिए भव्य तैयारियों में डूबी है। इस बार 56 घाटों पर 26,11,101 दीपक एक साथ जलेंगे, जो शहर को अलौकिक चमक से भर देंगे। सरयू नदी के किनारे 2100 वेदाचार्य महाआरती और मंत्रोच्चार के साथ वातावरण में आध्यात्मिक शांति फैलेगी। यह नजारा हर श्रद्धालु के लिए एक अनोखा और अविस्मरणीय पल लेकर आएगा।
घाटों, मंदिरों और सड़कों को खास तौर पर सजाया जा रहा है, जो हर उम्र के लोगों के दिलों में उत्सव की खुशी जगा देगा।अयोध्या का यह आयोजन अपनी भव्यता और आध्यात्मिकता से देश-विदेश में अनुपम सांस्कृतिक पहचान बनाएगा। श्रद्धालुओं और सैलानियों में इस पवित्र उत्सव का हिस्सा बनने को लेकर उत्साह चरम पर है।
उल्लेखनीय है कि दीपोत्सव की नींव 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में पड़ी थी, जब अयोध्या में 1.71 लाख दीपक जलाए गए थे। आज नौवें साल में यह संख्या 26 लाख से पार कर गई है, जो करीब 15 गुना की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाती है। इस बार का उत्सव न केवल भव्यता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि विश्व रिकॉर्ड बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा।
इस भव्य आयोजन को सफल बनाने के लिए 33,000 पंजीकृत स्वयंसेवक दिन-रात जुटे हैं। आयोजकों ने इसे ‘लोकल टू ग्लोबल’ थीम के साथ पेश करने का लक्ष्य रखा है। पहली बार श्रद्धालुओं के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन यात्रा की सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही, यूपीएसटीडीसी ने दिवस-यात्रा पैकेज शुरू किए हैं, जो यात्रियों के लिए सहूलियत और व्यवस्था को आसान बनाएंगे।
1100 ड्रोन से आसमान में रामायण का जादू
इस बार दीपोत्सव को और शानदार बनाने के लिए 1100 मेक इन इंडिया ड्रोन अयोध्या के आकाश में नृत्य करेंगे। ये ड्रोन रामायण के प्रसिद्ध दृश्यों जैसे ‘जय श्रीराम’, धनुष लिए श्रीराम, संजीवनी पर्वत उठाते हनुमान, रामसेतु और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को जीवंत करेंगे। दीपों की चमक और ड्रोन शो का यह अनोखा संगम हर उम्र के लोगों के लिए एक यादगार अनुभव होगा।
परंपरा और तकनीक का अनुपम मेल
अयोध्या का दीपोत्सव अब सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और तकनीकी उत्सव बन गया है। 26 लाख दीयों की रोशनी, मंत्रों की गूंज और ड्रोन प्रदर्शन इसे श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए अविस्मरणीय बनाएंगे। यह आयोजन न केवल अयोध्या की शोभा बढ़ाएगा, बल्कि देश की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को विश्व पटल पर गर्व से पेश करेगा।












