Shimla Poster Controversy: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में हाल ही में एक विवाद ने जन्म लिया है, जो न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहा है, बल्कि प्रदेश के राजनीतिक माहौल को भी गरमा रहा है। दरअसल, यह विवाद एक स्वच्छता अभियान के तहत लगाए गए पोस्टर को लेकर खड़ा हुआ है, जिसमें भगवान श्रीराम को बाल रूप में कूड़े के ढेर पर बाण मारते हुए दिखाया गया है। इस पोस्टर ने शिमला नगर निगम को घेरे में लिया है और शहर के धार्मिक और राजनीतिक माहौल को प्रभावित किया है।
उल्लेखनीय है कि स्वच्छता अभियान के इस पोस्टर पर विवाद की शुरुआत तब हुई जब देवभूमि संघर्ष समिति ने इसे धार्मिक अपमान करार दिया। समिति ने आरोप लगाया कि यह पोस्टर हिंदू धर्म की भावनाओं को चोट पहुंचाने वाला है, और भगवान श्रीराम की छवि को अपमानित किया गया है। समिति ने चेतावनी दी है कि अगर 24 घंटे के भीतर इन पोस्टरों को हटाया नहीं गया तो वे व्यापक आंदोलन करेंगे।
समिति के सदस्यों ने शिमला के छोटा शिमला थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें शिमला नगर निगम पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295A (धार्मिक भावनाओं को आहत करने) के तहत कार्रवाई करने की मांग की गई है। समिति के सह-संयोजक विजय शर्मा ने कहा, “यह पोस्टर मुख्यमंत्री के दफ्तर के सामने लगाया गया है, जहां राज्य सरकार बैठती है। ऐसे में यह हमारे धार्मिक विश्वासों का मजाक उड़ा रहा है।” देवभूमि संघर्ष समिति का यह आरोप है कि नगर निगम ने केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए स्वच्छता पोस्टर में बदलाव किया है।
वहीँ भाजपा ने भी नगर निगम पर आरोप लगाते हुए कहा कि शिमला में लगाए गए पोस्टर में भगवान श्रीराम के पांव को कचरे के ढेर में दिखाया गया है, जबकि केंद्र सरकार द्वारा जारी पोस्टर में भगवान श्रीराम कचरे से दूर खड़े हैं। भाजपा के शिमला जिला अध्यक्ष केशव चौहान ने नगर निगम पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा, “यह सनातन धर्म का अपमान है, और नगर निगम को इसे तुरंत हटाना चाहिए।”
वहीं, शिमला नगर निगम के महापौर सुरेंद्र चौहान ने भाजपा के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि यह पोस्टर नगर निगम ने नहीं, बल्कि केंद्र सरकार ने भेजा था। महापौर ने दावा किया कि यह स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र द्वारा निर्धारित सामग्री है, और इस सामग्री का उपयोग नगर निगम ने केवल जागरूकता फैलाने के लिए किया है। महापौर ने कहा, कि “भाजपा द्वारा स्वच्छता पोस्टर को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है। यह पोस्टर केंद्र सरकार की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है और इसमें नगर निगम का कोई हस्तक्षेप नहीं है। ”
महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि, “स्वच्छता अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है और केंद्र की सरकार द्वारा जो सामग्री जारी की जाती है। उसकी होर्डिंग देशभर में लगाई जाती है, लेकिन हैरानी की बात है कि भाजपा के नेता अपनी ही केंद्र की सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उन्हें केंद्र सरकार के खिलाफ भी मामला दर्ज करवाना चाहिए। ”
बता दें कि शिमला में स्वच्छता पोस्टर को लेकर छिड़े विवाद पर जब गहराई से नज़र डाली जाती है, तो एक महत्वपूर्ण तथ्य सामने आता है। यह पोस्टर, जिसे स्थानीय नगर निगम पर भावनाएं आहत करने का आरोप लगते हुए विवाद का शिकार बनाया गया, वास्तव में केंद्र सरकार की ‘स्वच्छता ही सेवा’ वेबसाइट से लिया गया एक आधिकारिक पोस्टर है।
जाँच में पता चलता है कि यह पोस्टर कोई अलग से बनाया गया चित्रण नहीं है, बल्कि केंद्र सरकार द्वारा ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत जारी किए गए पोस्टरों की एक श्रृंखला का हिस्सा है। इन पोस्टरों को देशभर में स्वच्छता अभियान के प्रचार-प्रसार के लिए तैयार किया गया था और इनका बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया गया है।













